रांची। कृषि विपणन शुल्क विधेयक को लेकर व्यापारी लगातार चिंतन कर रहे है। मामले की लगातार मॉनिटरिंग भी की जा रही है। वहीं, राज्यपाल की ओर से भी विधेयक को गंभीरता से लिया गया है। जबकि चैंबर आॅफ कॉर्मस की ओर से इस पर लगातार बैठकें की जा रही है। अध्यक्ष किशोर मंत्री की मानें तो आने वाले कुछ दिनों में कृषि विपणन बिल पर राज्यस्तरीय बैठक का आयोजन किया जायेगा।
जिसमें विधेयक की प्रावधानों और व्यापारियों के आंदोलन की रणनीति तय की जायेगी। फिलहाल राजभवन के निर्णय पर भी व्यापारियों की नजर टिकी है। पिछले दिनों राज्यपाल से मिलकर व्यापारियों ने विधयेक पर हस्तक्षेप की मांग की थी। बता दें कि बीतें बुधवार को कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, सचिव अबुबकर सिद्दकी के साथ राज्यपाल ने बैठक की। जिसमें विधयेक के प्रावधानों पर चर्चा की गयी।
साथ ही राज्यपाल ने मंत्री बादल पत्रलेख और विभागीय सचिव को कहा कि विधेयक जनहित को देखते हुए बनाया जायें। लोगों पर वित्तिय बोझ डालने के लिये नहीं बनाया जायें। चैंबर आॅफ कॉर्मस की ओर से विधेयक की वापसी की मांग पर लगातार नेताओं से बैठक की जा रही है। जिसमें अधिकारी भी शामिल रहे है। इसमें सत्ता पक्ष, अधिकारियों और मंत्रियों से वार्ता की जा रही है। वहीं, कांग्रेस के शीर्ष नेता षषि थरूर से भी व्यापारियों ने मुलाकात की है।
फिलहाल व्यापारियों की राय है कि कृषि मंत्री के साथ बैठक कर मामले का हल निकाला जायें। इसके पहले 21 जनवरी को चैंबर प्रतिनिधियों ने राज्यपाल से मुलाकात की थी। वहीं, 23 को कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से मुलाकात की गयी। 18 जनवरी को कांग्रेस के शीर्ष नेता षषि थरूर से मुलाकात की गयी। बता दें राज्य सरकार ने दिसंबर में संपन्न विधानसभा सत्र में विधेयक को फिर से पास किया। तभी से व्यापारियों में इस विधेयक को लेकर असंतोष देखा जा रहा है।
चैंबर आॅफ कॉमर्स की मानें तो बिल के लागू होने से राज्य में कृषि उपज के उत्पादन, इसके विपणन, संबंधित प्रसंस्करण उद्योग और व्यापार में भारी कमी आयेगी। जिससे किसानों के उपज की स्थानीय मांग घटने से उन्हें अपने उत्पाद की कम कीमत प्राप्त होगी। वहीं सरकार को कृषि शुल्क और जीएसटी से प्राप्त होनेवाले राशि (राजस्व) में कमी आयेगी।