भागलपुर। पंचायत के तालिबानी फैसले का यह मामला नगर के रंगरा थाना क्षेत्र के मुरली गांव का है। मुरली गांव में हो रही एक नाबालिग लड़की की शादी रुकवाना चंद्रखरा निवासी खगेंद्र मंडल को मंहगा पड़ गया। गुरुवार देर रात को हुई पंचायती में फैसला हुआ कि शादी में लड़की के पिता का जो भी खर्चा हुआ उसकी भरपाई युवक करेगा। युवक ने भी अपनी गलती मानते हुए लड़की के पिता को जुमार्ने की रकम देने की बात को स्वीकार किया। बताया गया कि एक फरवरी को मुरली गांव में एक लड़की की शादी होनी थी। बारात रानी पतरा गांव से आई हुई थी। इस दौरान यह बात सार्वजनिक हो गई कि लड़की नाबालिग है। बारात आ चुकी थी और कुछ देर में ही लड़की की शादी भी हो जाती, लेकिन इसके पहले ही खगेंद्र ने इसकी सूचना 112 नंबर पर पुलिस को दे दी। जिसके बाद पुलिस वहां पहुंची और लड़की के नाबालिग होने की पुष्टि होते ही शादी को रोक दिया। बारात बिना शादी और दुल्हन के ही वापस लौट गई। इसके बाद सुबह गांव में पंचायत बुलाई गई, जिसमें पुलिस को सूचना देने के लिए खगेंद्र को दोषी ठहराया गया। पंचायत ने कहा कि पुलिस को सूचना देने के कारण ही शादी नहीं हुई और लड़की के पिता द्वारा किया गया इंतजाम बर्बाद हो गया। इससे लड़की के पिता को भी भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा, जिसका हजार्ना खगेंद्र को देना चाहिए। पंचायत के इस निर्णय के बाद खगेंद्र ने भी मौके पर अपनी गलती को स्वीकार किया और लड़की के पिता को नुकसान की रकम देने की सहमति दी। इसके बाद एक इकरारनामा प्रपत्र तैयार किया गया, जिसमें यह लिखा गया कि खगेंद्र 5 फरवरी तक 3,11,001 सरपंच के पास जमा कर देगा। अगर वह तय समय तक यह रुपए देने में विफल रहा तो फिर उसे 4,51,001 रुपए का जुमार्ना भरना पड़ेगा। इकरारनामे के अनुसार खगेंद्र ने यह भी स्वीकार किया है कि उसने एक लड़की का जीवन बर्बाद किया है, इसलिये रकम नहीं देने पर उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। इस इकरारनामे पर सरपंच इरशाद आलम समेत अन्य ग्रामीण, पंचोंऔर दोनों पक्ष के लोगों के हस्ताक्षर हैं।