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11 दिन बाद कब्र से निकाला गया नवजात का शव

by Gandiv Live
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दुःखी पिता की मेहनत लाई रंग, 11 दिन बाद कब्र से निकाला गया नवजात का शव

कोराई गांव में तहसीलदार की निगरानी में निकाला गया बच्चे का शव

परिजनों ने डॉक्टर उमराव पर लगाया था इलाज में लापरवाही का आरोप

जेके चाइल्ड हॉस्पिटल में 10 को बच्चे ने तोड़ा था दम, 16 को हुई थी एफआईआर व 21 जनवरी को कब्र से पुनः निकाला गया शव

लम्बे संघर्ष के बाद मृतक के माता-पिता को जगी इंसाफ की आस, पोस्टमार्टम से स्पष्ट होगा नवजात की मौत का कारण

फतेहपुर। विगत 10 जनवरी को शहर के जेल रोड पर स्थित अति विख्यात जेके चाइल्ड हॉस्पिटल में मलवा थाना क्षेत्र अंतर्गत कोराई गांव निवासी अमरीश दुबे के करीब 40 दिन के बच्चे की मौत का मामला अखबारों की सुर्खियां बनने के बाद काफी चर्चा में छाया रहा। आखिरकार मृतक बच्चे के पिता का संघर्ष रंग लाया और शनिवार को सदर तहसीलदार की निगरानी और मलवा एवं सदर कोतवाली पुलिस की मौजूदगी में कोराई गांव स्थित दुर्गा मंदिर के ठीक सामने खेत में दफन किए गए मासूम के शव को निकाला गया। बच्चे का शव क़ब्र से निकाले जाने के बाद मृतक बच्चे के परिवारी जनों को अब इंसाफ की उम्मीद जग गई है। बच्चे के दु:खी पिता अमरीश का कहना रहा कि 10 जनवरी को बच्चे की मौत के बाद से इंसाफ की आस में वह दिन-रात संघर्ष करते रहे। उन्होंने बताया कि बच्चे की मौत किन कारणों से हुई इसकी जानकारी हासिल करने के लिए वह लगातार पुलिस से मुकदमा दर्ज करने की गुहार लगाते रहे, किंतु उनकी पीड़ा किसी ने भी नहीं सुनी। अंततः बच्चे की मौत का मामला अखबारों की सुर्खियां बनने के बाद न्याय प्रिय पुलिस अधीक्षक के संज्ञान पहुंचा और उनके निर्देश के बाद 16 जनवरी को सदर कोतवाली में उनका मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद बच्चे के शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए भी उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी जिसकी वजह से शनिवार को उनके बच्चे का शव कब्र से तहसीलदार की निगरानी व पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में निकाला गया है। उन्होंने कहा कि बच्चे का शव पुलिस ने पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है जिससे अब उन्हें यह भरोसा हो गया है कि पोस्टमार्टम होने के बाद उन्हें यह पता चल सकेगा कि बच्चे की मौत किन कारणों से हुई। उनका कहना रहा कि उनकी किसी भी व्यक्ति से ज़्यादती दुश्मनी नहीं है, किंतु अगर डॉक्टर व उनके स्टाफ की लापरवाही से उनके बच्चे की जान गई है तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिये और अगर बच्चे की मौत सामान्य तो उन्हें किसी से भी कोई शिकायत नहीं होंगी। उनका यह कहना रहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि डॉक्टर एवं उनके स्टाफ की लापरवाही से ही बच्चे की जान गई है जिसका पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

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