रांची। झारखंड में स्थानीय नीति, नियोजन नीति व भाषाई नीति को लागू करने की मांग को लेकर आज आदिवासी, मूलनिवासियों का प्रदर्शन सुबह करीब 9:00 बजे से लेकर लगभग 12:00 बजे तक जारी रहा।

“हुल जोहार का नारा है,झारखंड प्रदेश हमारा है” नारे लगाकर सड़क के किनारे स्थानीय लोगों ने झारखंड सरकार के प्रति रोष जाहिर किया। आपको बता दें कि झारखंड में 25 फरवरी से बजट सत्र प्रारंभ हुआ है और आज इसका दूसरा दिन है। इसी बीच स्थानीय नीति और भाषाई विवाद को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दूसरे राज्यों में जिस प्रकार सरकार अपने स्थानीय लोगों के अधिकार को संरक्षित करती है उसी प्रकार यहां की सरकार क्यों नहीं करती? वही मौके पर मौजूद पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव का कहना है कि हम लोगों को हेमंत सरकार से बहुत सी उम्मीदें थी लेकिन यह सरकार भी फेल होती नजर आ रही है। झारखंड में पिछले 20 वर्षों में मिली जुली सरकार बनी है और सत्ता सुख पाने के लिए सभी सरकार की मिलीभगत भी रही है।

इस बदहाली के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही दोषी हैं। इसलिए हमारी सरकार से आग्रह है कि वह स्थानीय नीति 1932 के आधार पर या अंतिम सर्वे सेटेलमेंट एवं संविधान के अनुच्छेद 371/डी. आंध्र प्रदेश की तर्ज पर स्थानीय नीति व नियोजन नीति लागू की जाए। यदि सरकार हमारी मांगों को पूरा करने में असफल रहती है तो हमलोग 14 मार्च को विधानसभा का घेराव करेंगे तथा विभिन्न जगहों पर चक्का जाम भी करेंगे।
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