छह महीने में खाली करना था माइंस दो साल से होती रही दिन-रात ढुलाई
रांची। झारखंड में यदि अफसरों को खरीद लें तो फिर आप बादशाह बन जाते हैं और कोई भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, भले ही वह मंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री ही क्यों न हो। शाह ब्रदर्स के मामले में इनकम टैक्स की रेड के बाद एक बार इस बात की पुष्टि हुई है। दरअसल शाह ब्रदर्स जिस करमपदा लौह अयस्क के खदान को पिछले दो साल से दिन-रात कामधेनु की तरह दूह कर अरबों की अवैध कमाई कर रहा था, शाह ब्रदर्स के नाम से उसका लीज वर्ष 2020 में ही खत्म हो चुका था। उस दौरान अधिकारियों को अपने साथ मिला कर शाह ब्रदर्स ने स्टॉक में रखे गये 3.5 लाख टन लौह अयस्क की जगह 5.7 लाख टन माल बेचने का परमिशन निकलवा लिया। इस परमिशन के बाद असली खेल शुरु हुआ।
क्या कहती है नियमावली
मेजर मिनरल्स के मामले में 2016 में केंद्र सरकार ने मिनरल्स कनशेसन रुल्स (एमसीआर) 2016 बनाया था। इस नियमावली के तहत ही देश भर में मेजर मिनरल्स के खदान का संचालन होता है। एमसीआर 2016 रुल्स के सेक्शन 12 (सब सेक्शन जीजी – एचएच) के अनुसार किसी भी खदान का लीज रद्द होने पर अधिकतम छह महीने के अंदर पूर्व आवंटी को खदान खाली कर देना होता है। इस अवधि में यदि कंपनी अपना स्टॉक नहीं हटाती है तो वह सरकार का हो जाता है। इसी प्रावधान के तहत शाह ब्रदर्स ने झारखंड सरकार के माइनिंग डिपार्टमेंट से अपने स्टॉक को निकालने की अनुमति मांगी। अनुमति में हेरफेर कर गलत कागजातों से पहले तो स्टॉक को लगभग दोगुणा कर लिया, इसके बाद भी छह महीने की जगह हाल तक दिन-रात माल निकासी कर बाजार में बेचा जा रहा था।
अरबों का है ये आयरन स्टॉक घोटाला
इनकम टैक्स ने जब कागजातों को जांचा तो यह हेराफेरी सामने आया। प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक शाह ब्रदर्स ने अब तक अरबों रुपये का स्टॉक घोटाला कर लिया है। इनकम टैक्स द्वारा जारी प्रारंभिक सूचना में इस घोटाले पर अंगुली उठायी गयी है। अब जब इनकम टैक्स और ईडी की टीम इस पूरे मामले की जांच कर रही है, तो इसमें स्थानीय स्तर पर माइनिंग डिपार्टमेंट के अफसरों की मिलीभगत का खुलासा होना लाजमी है।
पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री की आपत्ति कर दी गयी दरकिनार
राज्य के तत्कालीन मंत्री सरयू राय ने मंत्री रहते हुए शाह ब्रदर्स के मामले में सार्वजनिक रूप से आपत्ति की थी। वर्ष 2020 में जब उसे स्टॉक बेचने की अनुमति सरकार द्वारा दी जा रही थी, तब भी सरयू राय ने गंभीर वित्तिय अनियमितता का आरोप लगाया था। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने भी स्टॉक के रिकॉर्ड में हेराफेरी की शिकायत कर वर्ष 2020 में ही शाह ब्रदर्स के स्टॉक की थर्ड पार्टी जांच की मांग प्रमुखता से की थी। इसके बावजूद माइनिंग विभाग के अफसर कान में तेल डालकर सोये रहे और शाह ब्रदर्स को लूट की खुली छूट मिली रही। यदि उसी समय इनकी आपत्तियों पर सरकार ने ध्यान दिया होता तो आज इनकम टैक्स और ईडी को अरबों रुपये के इस घोटाले का फाइल नहीं खंगालना पड़ता।