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रांची: झारखंड की राजधानी रांची में सोमवार को एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। मेदांता अस्पताल में कार्यरत महिला कर्मचारी सुमन कुमारी ने आत्महत्या कर ली। वह इरबा स्थित कुमार लॉज में अकेली रहती थी, और उसी कमरे में उसका शव फंदे से लटका हुआ पाया गया।
🧕 कौन थीं सुमन कुमारी?
- नाम: सुमन कुमारी
- पिता का नाम: चुन्नीलाल महतो
- निवास: टुकटुक टोली, बीआईटी मेसरा, रांची
- पेशा: महिला स्वास्थ्य कर्मचारी, मेदांता अस्पताल रांची
- कुमार लॉज, इरबा
🔍 कैसे हुआ खुलासा?
- सोमवार को जब सुमन ने अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला, तो लॉज के अन्य लोग चिंतित हुए।
- कई बार दरवाजा खटखटाने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
- इसके बाद कमरे का दरवाजा तोड़ा गया, जहां सुमन कुमारी का शव फंदे से लटका मिला।
- तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।
📄 सुसाइड नोट नहीं मिला
पुलिस द्वारा की गई शुरुआती जांच में—
- कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है
- लॉज में रहने वाले छात्रों और अन्य किरायेदारों से पूछताछ की जा रही है
- मोबाइल, डायरी, या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच जारी है
🧠 मानसिक तनाव की आशंका
सूत्रों के मुताबिक, सुमन कुमारी पिछले कुछ समय से मानसिक तनाव में थीं। वह:
- लॉज में अकेली रह रही थीं
- उनके किसी के साथ करीबी संपर्क की पुष्टि नहीं हुई है
- पारिवारिक या व्यक्तिगत समस्या की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता
🚨 पुलिस जांच जारी
- इरबा थाना पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को कब्जे में लिया
- पोस्टमार्टम के लिए शव को भेजा गया है
- परिवार वालों को सूचना दे दी गई है
- अस्पताल प्रबंधन से भी बातचीत की जा रही है कि क्या सुमन किसी दबाव में थीं
🗣️ अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया
मेदांता अस्पताल प्रबंधन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कर्मचारियों और सहयोगियों के अनुसार:
“सुमन एक शांत और मेहनती कर्मचारी थीं, कभी किसी से कोई शिकायत नहीं की।”
⚠️ महिला सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल
यह घटना फिर एक बार कामकाजी महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य और सहायता की कमी पर गंभीर सवाल खड़े करती है:
- क्या संस्थान मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हैं?
- क्या अकेले रह रही महिला कर्मचारियों को पर्याप्त सपोर्ट मिलता है?
- क्यों अब भी मानसिक तनाव को नजरअंदाज किया जाता है?
🙏 अंतिम शब्द
सुमन की आत्महत्या सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि उस चुप्पी की चीख है जिसे कोई सुन नहीं पाता। यह समय है कि हम सभी में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर संवेदनशीलता और समर्थन का माहौल विकसित करें। अगर आप भी मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, तो चुप न रहें — किसी अपने से बात करें।

