पीई क्यों एसीबी सीधे मेरे ऊपर एफआईआर दर्ज करे-सरयू राय

by Aaditya HridayAaditya Hriday

हेमंत के बाद सरयू ने ललकारा, पीई क्यों एसीबी सीधे मेरे ऊपर एफआईआर दर्ज करे

कहा- यदि भ्रष्टाचार के थोड़े भी साक्ष्य मिले हों तो समय न गवायें एसीबी

रांची। राज्य के पूर्व मंत्री सह जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय पर भ्रष्टाचार के आरोप में एसीबी ने प्रारंभिक जांच के लिए पीई दर्ज करने की अनुमति सरकार से मांगी है। इस मामले में सरयू राय  ने आज सरकार को लंबी चिट्ठी लिख कर सीधी चुनौती दी है कि एसीबी पीई नहीं सीधे प्राथमिकी दर्ज कर जांच करे। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों के हर विन्दु पर अपना पक्ष मीडिया में रखते हुए कहा कि यदि भ्रष्टाचार के थोड़े भी साक्ष्य मिले हो तो एसीबी पीई करने में समय गंवाने के बदले सीधे प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई आगे बढ़ाए। विभाग से संचिका मांग ले, मुझसे एवं अन्य संबंधित लोगों से पूछताछ कर लें और त्वरित गति से 15-20 दिनों में मामले का निपटारा कर दे। उन्होंने ट्वीट कर भी इस मामले में चुटकी ली।

download 3 1

हर आरोप का दिया जवाब, कहा- एसीबी की बुद्धिमता पर सवाल

बाबा कम्प्यूटर्स 

इस संबंध में मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि बाबा कम्प्यूटर्स को यह काम निविदा के आधार पर मिला। निविदा का प्रकाशन विभागीय सचिव ने मंत्री से अनुमति लिए बिना अपनी शक्ति से किया था। निविदा का निष्पादन विभाग द्वारा गठित निविदा समिति ने किया थ। अवधि विस्तार के समय संचिका मंत्री के रूप में मेरे पास आई। तत्कालीन विभागीय सचिव ने इस संबंध में विभिन्न पहलुओं का सांगोपांग विश्लेषण संचिका में किया है। तदुपरांत बाबा कम्प्यूटर्स को पुन: अवधि विस्तार मिला। यह पूर्णत: विधि के अनुरूप हुआ, मेरे निर्णय के अनुसार नहीं।

आहार पत्रिका

विभाग और सरकार की नीतियों-कार्यक्रमों से लोगों को अवगत कराने के उद्देश्य से आहार पत्रिका प्रकाशित करने का निर्णय विभाग ने लिया। आरंभ में सक्षम 3-4 संस्थाओं से इसके लिए कोटेशन लिया गया। न्यूनतम दर वाले संस्था का चयन किया गया। दर निर्धारण करने के लिए संचिका वित्त विभाग को भेजी गयी। वित्त विभाग ने इस पर मंतव्य दिया कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग से दर निर्धारित कराया जाय। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने इस पर विचार करते हुए जो दर निर्धारित किया, उसी आधार पर न्यूनतम दर वाली संस्था का चयन हुआ।

युगान्तर भारती

मेरे मंत्री रहते समय अपने विभाग से किसी काम के लिए कोई आदेश युगान्तर भारती के पक्ष में नहीं दिया गया है। यह आरोप हास्यास्पद है कि मैंने वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 में युगान्तर भारती से अनसेक्युर्ड लोन लिया है। पता नहीं एसीबी ने मेरा आयकर रिटर्न और युगान्तर भारती के आयकर रिटर्न का विवरण आयकर विभाग से अथवा हमारे कार्यालय से मंगाकर देखा है या नहीं। बिना ये विवरण देखे यदि इस बारे में एसीबी सरकार से पीई दर्ज कराने का आदेश लेना चाहता है तो इससे एसीबी अधिकारियों की बुद्धिमत्ता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होगा।

सेवा अवधि विस्तार

सुनील शंकर सहित कई रिटायर्ड अफसरों को विभाग में पुन: नियुक्त करने के मामले में समस्त जानकारी विभाग की संचिका में दर्ज है। पता नहीं एसीबी ने खाद्य विभाग से संचिका मंगाकर देखा है या नहीं।  रिटायरमेंट के बाद सुनील शंकर व अन्य को पुन: नियुक्त करने से सरकार को कोई नुकसान नहीं हुआ है। एसीबी को चाहिए कि इस संबंध में विभाग के निर्णयों की तुलनात्मक अध्ययन के बाद सरकार को कोई वित्तीय हानि हुई या नहीं, इस बारे में पीई के लिए इजाजत मांगने के पहले एसीबी ने अवश्य विचार किया होगा।

Have any thoughts?

Share your reaction or leave a quick response — we’d love to hear what you think!

Your Opinion on this News...

You may also like

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More