याचिका संख्या 168/2020 में मां से पांच कट्ठा जमीन में एक तिहाई मांगा हिस्सेदारी
रांची। कलियुगी बेटे भानू चौधरी ने अपने ही वृद्ध माता इंद्रांसिनी देवी के खिलाफ संपत्ति को लेकर मुकदमा दर्ज कराया है। मुकदमा इस्टैबलिशमेंटआॅफ सिविल जज (सिनियर डिविजन) के यहां दिसंबर 2021 में दर्ज किया गया है। भानू चौधरी मेकॉन में कार्यरत हैं। यह नौकरी भी मां इंद्रांसिनी देवी के आग्रह पर ही भानू चौधरी को अनुकंपा के आधार पर मिली थी। कंपेंसेट ग्राउंड पर 5 नवंबर 1988 को भानू चौधरी को सहायक के पद पर नौकरी मिली थी। अब वे मेकॉन में प्रबंधन के पद पर पहुंच गये हैं। इंद्रांशी देवी के पति नारायण चौधरी का निधन 24 सितंबर 1988 को हुआ था। तब वे मेकॉन के सिविल इंजीनियरिंग सेक्शन में वरीय ड्राइंग अफसर थे। इसके बाद माता ने परिवार को संभालने के लिए अपने बेटे भानू चौधरी का नाम मेकॉन प्रबंधन को अनुकंपा के आधार पर करने का अनुरोध किया था। अब उसी भानू चौधरी ने 81 वर्षीय मां को अक्षम और अपने ही सहोदर भाई का संरक्षक बता रहा है। अपने बड़े बेटे की कारस्तानी से क्षुब्ध हो मां ने बड़े दुखी मन से उसे अपनी किसी भी संपत्ति से बेदखल करने का मन बनाया। मां तो उस समय परेशान हो गयी, जब खुद के बेटे ने उन पर केस कर दिया। भानू चौधरी अभी डिबडीह के उसी मकान में रहता है। जो इंद्रांसिनी देवी ने अपने पति के मरने के बाद मेकान से मिले ग्रैच्यूटी और मृत्यु उपरांत लाभ से मिले पैसे से बनवाया था। यह मकान मात्र 12 सौ वर्ग फीट का है। जो दो मंजिला मकान है। इसी मकान में भानू चौधरी भी रहते हैं। मां के नाम से लगे बिजली का कनेक्शन भी कटवा कर उन्होंने अपने नाम से कनेक्शन ले लिया। इस कृत्य से मां और उनके छोटे बेटे 11 महीने तक अपने ही घर में अंधेरे में रहे। जब इन्हें नौकरी मिली थी, तो मेकॉन प्रबंधन ने इन्हें बी-84 क्वार्टर भी एलॉट किया था। पर ये एलॉटेड मकान में गये ही नहीं। जब मां ने पूरा मकान डिबडीह में बनवा दिया, तो वहां आकर काबिज हो गये। अब उस मकान में अपनी हिस्सेदारी को कायम कराना चाहते हैं। जानकारी के अनुसार रैयती जमीन में ही हिस्सेदारी की बातें आती हैं। जबकि खरीदी गयी जमीन पर हिस्सेदारी का मामला नहीं बनता है। मां ने अपने बेटे के कारनामों के बाबत फैमिली कोर्ट में एक शिकायत भी दर्ज करायी है। पूरे मामले पर भानू चौधरी का कहना है कि पिता की संपत्ति है. मां की नहीं। इसलिए पिता की संपत्ति में उनका ही अधिकार है। मैंने कोई गलत नहीं किया है।
मां इंद्रासिनी देवी ने बड़े बेटे को संपत्ति से बेदखल
मां इंद्रासिनी देवी ने गुस्से में आकर अपने बड़े बेटे को संपत्ति से बेदखल कर दिया। उन्होंने नोटरी पब्लिक के सामने एक शपथ पत्र बनवाया। जिसमें उन्होंने लिखवाया है कि डिबडीह के पांच कट्ठा जमीन पर बड़े बेटे का कोई अधिकार नहीं है। मेरे पति की मृत्यु के बाद इस जमीन पर मैंने दो तल्ला मकान बनवाया था। अब यह घोषणा करती हूं कि मेरी मृत्यु के बाद मेरे मकान में बड़े बेटे का कोई अधिकार नहीं होगा। मेरा छोटा बेटा ओम प्रकाश चौधरी का सारा अधिकार होगा। मैं अपने बड़े बेटे को अपनी संपत्ति से बेदखल करती हूं।
Have any thoughts?
Share your reaction or leave a quick response — we’d love to hear what you think!