इंडियन चैंबर आॅफ कॉमर्स का पांचवां माइनिंग कॉनक्लेव
रांची। नवीनतम तकनीक का खनन उद्योग पर प्रभाव विषय के तहत रांची स्थित होटल रेडिशन ब्लू में इंडियन चैंबर आॅफ कॉमर्स द्वारा पांचवां माइनिंग कॉनक्लेव का आयोजन हुआ। इस कॉनक्लेव में झारखंड राज्य के प्रमुख खनन कंपनियों से आये कई विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों को स्वागत करते हुए इंडियन चैंबर आॅफ कॉमर्स, झारखंड चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. अमृतांशु प्रसाद ने खनन उद्योगों पर तकनीकों के बढते प्रभाव के बारे में बताया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि इसकी मदद से खनन कंपनियों को अधिक आसानी से खनिजों का पता लगाने में कैसे मदद की जाती है।
डॉ. प्रसाद ने अपने उद्घाटन भाषण के दौरान माइनिंग ससटेनेबिलिटी यानी सतत विकास पर भी चर्चा की। झारखंड राज्य के खनन सचिव अबू बकर सिद्दकी ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम को संबोंधित करते हुए कहा झारखंड कोयला, लौह अयस्क, तांबा अयस्क, अभ्रक और कोबाल्ट का प्रमुख उत्पादक है। खनन में बढ़ते मशीनीकरण, कच्चे माल की उपलब्धता और प्रतिस्पर्धी मूल्य वाले श्रम लागत के कारण झारखंड विश्व स्तर पर निवेशकों को आकर्षित करता रहा है। आज भी हम देश में ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन यानी खनन उद्योगों पर ही निर्भर है। पिछले साल ग्लासगो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिज्ञा को बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत 2070 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को शुद्ध शून्य तक सीमित कर देगा। झारखंड सरकार की आगामी योजनाओं पर बात करते हुए खनन सचिव ने बताया कि राज्य सरकार खनन क्षेत्रों को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है जिससे कोल खनन तथा अन्य खनन अन्य क्षेत्रों पर बेहतर प्रभाव पडेगा।