रांची। राज्य के 72 अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई करायी जाती है। अगले वित्तीय वर्ष में सभी अंगीभूत कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई को बंद किया जाएगा। अब राज्य सरकार अपने प्लस टू स्कूलों में ही इंटर की पढ़ाई कराएगा। फिलवक्त राज्य में 635 प्लस टू स्कूल हैं। इन स्कूलों में इंटर की पढ़ाई कराने के लिए इन्हें व्यवस्थित किया जाएगा। इसके लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग का 200 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। यह खर्च अगले वित्तीय वर्ष में किया जाएगा। राज्य में अभी 72 ऐसे अंगीभूत कॉलेज हैं, जहां बच्चे इंटर में एडमिशन लेकर पढ़ाई कर रहे हैं। अगले वित्तीय वर्ष में उन्हें भी प्लस टू स्कूलों में शिफ्ट किया जायेगा। ऐसे नामांकन लेकर पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की संख्या एक लाख से ऊपर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्लस टू (इंटर) की पढ़ाई प्लस टू विद्यालयों में ही होनी है। इसके लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग प्लस टू स्कूलों को आवश्यकतानुरूप संसाधनयुक्त बनाएगी। 200 करोड़ रुपये खर्च कर प्लस टू स्कूलों में 2500 से अधिक क्लास रूम बनाये जायेंगे। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। राज्य में वर्तमान में 635 प्लस टू स्कूल हैं।
जिनमें 59 स्कूल एकीकृत बिहार के समय के हैं। लगभग तीन लाख स्टूडेंट्स औसतन मैट्रिक की परीक्षा पास करते हैं। ऐसे में उनके इंटर में एडमिशन में दिक्कत न हो इसके लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने प्लस टू स्कूलों में क्लासरूम बनाने के साथ हाईस्कूलों को भी प्लस टू स्कूलों में अपग्रेड किया जाएगा। इसके लिए भी प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। अगले वित्तीय वर्ष में 325 हाईस्कूल ऐसे हैं जिन्हें प्लस टू में अपग्रेड किया जायेगा। इन स्कूलों में प्रयोगशाला, कंप्यूटर कक्ष, पुस्तकालय व क्लासरूम बनेंगे। इसके साथ ही अनुमति प्राप्त इंटर कॉलेज भी अगले वर्ष से प्लस टू बनेंगे। इंटर कॉलेज होने से केवल 11वीं और 12वीं की पढ़ाई होती है। प्लस टू स्कूल होने पर क्लास नौवीं और 10वीं की भी पढ़ाई करायी जा सकेगी।