- रांची नगर निगम में अगले आदेश तक नक्शा पास करने पर रोक
- कैश कांड : तीनों विधायकों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक जारी
- गवाह को पता ही नहीं है कि समरी लाल का कास्ट सर्टिफिकेट रद्द हो गया
हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त और आरआरडीए उपाध्यक्ष को लगाई फटकार
रांची। राज्य के नगर निकायों में नक्शे स्वीकृति में पैसों के खेल मामले में कोर्ट के स्वत: संज्ञान लेते हुए झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने नक्शा पास करने में अवैध वसूली पर हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त और आरआरडीए उपाध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई। साथ ही कोर्ट ने रांची नगर निगम से नक्शा स्वीकृति पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है। कोर्ट ने मौखिक कहा कि नक्शा स्वीकृति जैसे मामलों में पारदर्शिता बरतनी चाहिए। कोर्ट ने आरआरडीए और नगर निगम में कितने जूनियर इंजीनियर और टाउन प्लानर है इसका ब्योरा कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मौखिक कहा कि आरआरडीए में 1982 के बाद से कोई स्थाई नियुक्ति नहीं हुई है नगर निगम में भी पिछले 20 वर्षों से नियुक्ति नहीं हुई है कांट्रैक्ट बेसिस पर कर्मियों से काम कराया जा रहा है।सुनवाई के दौरान नगर आयुक्त और आरआरडीए के उपाध्यक्ष कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुए। अपने मामले में जेपीएससी को भी प्रतिवादी बनाया है। मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी। बता दें कि इससे संबंधित खबर रांची के स्थानीय समाचार पत्र में छपी थी, जिस पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई। कोर्ट ने इस मामले को एलपीए 132 / 2012 के साथ टैग करने का निर्देश दिया था। बता दें कि 20-30 रुपए प्रति वर्ग फीट चढ़ावा, तब पास होता है नक्शा शीर्षक से यह खबर छपी हुई है। इसमें कहा गया है की राज्य के नगर निकायों में नक्शा स्वीकृति के लिए अधिकतम शुल्क 8 रुपया प्रति वर्ग फीट है लेकिन निकायों में तय शुल्क के अलावा 30 रुपए प्रति वर्ग फीट तक चढ़ावा देकर नक्शा की स्वीकृति प्राप्त किया जाता है। नगर निकायों में नक्शा स्वीकृति के हर चरण पर चढ़ावे की रकम फिक्स कर दी गई है।
अनूप सिंह ने जवाब के लिए मांगा समय
रांची। आज झारखंड हाइकोर्ट में कैश कांड में फंसे तीनों विधायकों की ओर से दाखिल क्रिमिनल रिट पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने कैश कांड में फंसे तीनों विधायकों के खिलाफ पीड़क कार्रवाई पर रोक के आदेश का विस्तार दिया है, सुनवाई को दौरान अदालत में इस केस के सूचक विधायक अनूप सिंह के अधिवक्ता भी उपस्थित रहे। उन्होंने जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से समय देने का आग्रह किया। जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने सरकार और विधायक अनूप सिंह को जवाब दाखिल करने का समय दे दिया।
अब इस मामले में 16 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। प्रार्थियों (आरोपी विधायकों) के अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा और अजय शाह ने पक्ष रखा। झारखंड हाइकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। बता दें कि झारखंड के तीन कांग्रेसी विधायकों इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप को कोलकाता पुलिस ने 48 लाख रुपये के साथ गिरफ्तार किया था। काफी दिनों तक जेल में रहने के बाद तीनों विधायकों को कोलकाता हाइकोर्ट ने सशर्त बेल दे दी थी। जिसके बाद कैश कांड में फंसे विधायकों ने झारखंड हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कांग्रेस के विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह द्वारा दर्ज करवाई गई जीरो ऋकफ को रद्द करने की मांग की है।
रांची। 2019 विधानसभा चुनाव में कांके विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी रहे सुरेश बैठा की इलेक्शन पिटीशन पर हाईकोर्ट में आज भी सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान भाजपा विधायक समरी लाल की ओर से 12 वें गवाह आनंद राम का बयान दर्ज किया गया। आनंद राम ने अन्य गवाहों की तरह समरी लाल से परिचित होने और आजादी के पूर्व से अपने और समरी लाल के रांची में रहने की बात कही। लेकिन इससे जुड़ा प्रमाण मांगे जाने पर उन्होंने कहा कि अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने लायक कोई दस्तावेजी प्रमाण उनके पास उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही आनंद राम ने अपनी गवाही के दौरान अदालत को यह भी बताया कि स्टेट कास्ट समिति ने समरी लाल का कास्ट सर्टिफिकेट रद्द कर दिया गया है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। याचिकाकर्ता सुरेश बैठा की ओर से हाईकोर्ट के अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, विभास सिन्हा और अविनाश अखौरी ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा। वहीं समरी लाल की ओर से अधिवक्ता अमर कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा। बता दें कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में कांके विधानसभा की आरक्षित सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार सुरेश बैठा और बीजेपी के प्रत्याशी समरी लाल चुनाव लड़े थे। मतगणना के बाद भाजपा के प्रत्याशी समरी लाल को निर्वाचित घोषित किया गया। जिसके बाद सुरेश बैठा ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर समरी लाल के निर्वाचन को रद्द करने की मांग की है। इसके पीछे उन्होंने आधार दिया है कि समरी लाल द्वारा चुनाव के दौरान दिया गया जाति प्रमाण पत्र गलत है।