झारखंड कर्मचारी चयन आयोग नियुक्ति नियमावली को किया था चैलेंज
रांची। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की नियुक्ति नियमावली को चैलेंज करनेवाली याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया। हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. रविरंजन एवं जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की डबल बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2021 में पारित नियोजन नीति को रद्द कर दिया है।
अदालत ने पूर्व में सभी पक्षों की बहस और दलीलें सुनने के बाद नियोजन नीति पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया। इसके साथ ही अदालत ने रमेश हांसदा की ओर से दाखिल याचिका को स्वीकार कर लिया है। हाइकोर्ट के आदेश के बाद अब वैसे अभ्यर्थी भी जेएसएससी और जेपीएससी द्वारा ली जाने वाली नियुक्ति प्रतियोगिता में शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने झारखंड के बाहर से दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई की है।
रमेश हांसदा एवं अन्य ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर राज्य सरकार द्वारा जेएसएससी नियमावली में किये गए संशोधन को गलत बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग अदालत से की थी। याचिका में कहा गया था कि झारखंड सरकार ने नियमावली में संशोधन किया है, जिसके तहत राज्य के संस्थान से ही दसवीं और 12वीं की परीक्षा पास करने वाले छात्र ही नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे।
यह नियम सिर्फ सामान्य श्रेणी के छात्रों पर ही लागू होगी, जबकि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के मामले में यह आदेश लागू नहीं होगी। उनकी मांग थी कि भाषा के पेपर से हिंदी और अंग्रेजी को भी हटा दिया गया था, जबकि उर्दू, बांग्ला और उड़िया भाषा को शामिल किया गया था। इन शर्तों के कारण जेएसएससी के द्वारा नियुक्तियों के लिए जारी विज्ञापन में कई अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए इस नियमावली को रद्द किया जाना चाहिए।
पारा शिक्षकों को झटका हाइकोर्ट में याचिका खारिज
रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने टेट पास पारा शिक्षकों के समायोजन से जुड़े मामले में भी आज शुक्रवार को अपना फैसला सुना दिया है। हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए पारा शिक्षकों की याचिका खारिज कर दी है। इस फैसले से पारा शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है। दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई पूरी होने के बाद पहले अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने इस पूरे मामले की सुनवाई की थी। प्रार्थी सुनील यादव एवं अन्य के द्वारा करीब 111 याचिकाएं पारा शिक्षकों के सहायक शिक्षक के रूप में वेतन और नियमितिकरण के मामले में हाइकोर्ट में दाखिल की गयी है। याचिका में कहा गया है कि पारा शिक्षक 15 वर्ष से अधिक समय से काम कर रहे हैं। वे शिक्षक पद की अहर्ता भी पूरी करते हैं। याचिका में मुख्य मांग यह की गई थी कि राज्य सरकार उनकी सेवा स्थाई करे और उन्हें सहायक शिक्षक के पद पर समायोजित करे। अब अदालत के इस फैसले से पारा शिक्षकों को बड़ा झटका लगा है।Ñ