सालीचौका नगर के समीपी ग्राम मारेगांव में महाबदी बारस को एक अनोखा मेला लगाया गया यहां प्राचीनकाल से उक्त मेला लगाया जा रहा है। जिसमें दूर दूर के लोग जुटते हैं। इस मेले को भूतों का मेला के नाम से जाना पहचाना जाता है। जहां इस मेले में दूर दूर से लोग मेले का आंनद उठाने आते हैं।
इस मेले के बारे में मान्यता है कि जो भी किसी भूत प्रेत की बाधा से ग्रस्त होता है उसकी बाधा का यहां आकर समाधान हो जाता है। ग्राम के बुजुर्गो का कहना है कि ग्राम मारेगांव में समर्थ गुरू देवादासजी स्वामी की तपोभूमि है।
बुजुर्गो का कहना है कि ग्राम मारेगांव में समर्थ गुरू देवादासजी स्वामी की तपोभूमि है। उन्होंने यहां पर आकर तप किया, तभी से यहां पर आने वाले श्रद्धालु भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है, गुरू देवादासजी की बड़ी समाधि होशंगाबाद में है। इनकी और सहायक समाधियां मारेगांव, उमरधा, मुआंर, खाबादा आदि स्थानों पर भी बताई जाती हैं। गुरु महाराज के शिष्य आज भी इन समाधियों में रहकर जप तप कर रहे हैं। प्राचीनकाल से लोग यहां पर अपनी अपनी समस्याएं लेकर आते हैं। ऐसा माना जाता है कोई बीमार है या किसी को भूत प्रेत लग जाए तो उसे खम्बे से चिपका दो तो सभी बलाएं दूर हो जाती हैं।
ऐसा माना जाता है कोई बीमार है या किसी को भूत प्रेत लग जाए तो उसे खम्बे से चिपका दो तो सभी बलाएं दूर हो जाती हैं।
संभवत: इसी के चलते कई लोग इसे भूतों का मेला भी कहते हैं।
वर्षो से लगते आ रहे इस मेले में लोगों पर आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। ग्रामीणों का कहना हैं कि यहां के पुरोहित द्वारा झाड़ फूंक कर लोगों की समस्याओं का निराकरण भी किया जाता है। कई पीडि़त लोगों को यहां पर लाभ हुआ है, इसलिए क्षेत्र में यह मेला भूतों के मेला नाम से प्रचलित है। समाधि स्थल के बारे में पुजारी ने बताया कि यहां पर गुरूजी का जो भी भक्त धागा बांधता है उसे कभी भी कोई भूत प्रेत एवं किसी भी प्रकार की कोई बाधाएं उसके पास नहीं आतीं, हमने ऐसे कई प्रमाण देखे हैं। इस चमत्कारी धागे को बांधने के बाद एक भक्त को भूत प्रेतों ने सताया था धागा बांधने के बाद वह भक्त इन प्रेतात्माओं के कोप से मुक्त हो गया। हर वर्ष यहां पर मेले में भजन कीर्तन पूरी रात चलते हैं। वहीं इस मेले को देखने लोग दूर दूर से आते हैं। वास्तविकता में यह संतों का मेला है जिसे लोग भूतों के मेले के नाम से भी जानते हैं। गुरु देवादास समिति ने सभी क्षेत्र के लोग मेले का आनंद लेते हुए और समाधि स्थल में आशीर्वाद लेकर पुण्य लाभ अर्जित करें।