चर्चा है कि सीएम हेमंत सोरेन अब न्याय के लिये सुप्रीम कोर्ट का रूख कर सकते हैं. मामला सीएम रहते हुए अपने नाम पर खनन पट्टा आवंटित करने के मामले में हेमंत सोरेन को कथित तौर पर अयोग्य करार देने की सिफारिश संबंधी चुनाव आयोग के पत्र को राज्यपाल द्वारा सार्वजनिक नहीं करने का है. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर पहुंचने से पहले सीएम सोरेन दिल्ली में बड़े वकीलों के संपर्क में हैं. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों से भी सलाह मशविरा कर रहे हैं. इन वकीलों में कपिल सिब्बल,पी चिदंबरम सहित अन्य का नाम लिया जा रहा है. वाजिब कानूनी परामर्श के बाद वे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं.
गत गुरुवार को राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात के बाद अचानक दिल्ली जाने से राज्य में सियासी पारा चढ़ गया. कहा तो ये जा रहा है कि वे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में विधि विशेषज्ञों से राय लेने दिल्ली गए हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के सूत्र यह भी बता रहे हैं कि वे शुक्रवार की देर शाम रांची लौट आये.
ता दें कि 25 अगस्त से राजभवन पर सबकी निगाहें टिकी थीं. निर्वाचन आयोग के मंतव्य को लेकर कई तरह के कयास लगाये जा रहे थे, मगर 15 सितंबर तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हुआ. लिहाजा हेमंत सोरेन अपने साथ दो पेज का ज्ञापन ले कर राज्यपाल रमेश बैस से मिलने पहुंच गए. हेमंत सोरेन से निर्वाचन आयोग के मंतव्य की एक प्रति उपलब्ध कराने की इच्छा जाहिर की. राज्यपाल से मिलने के बाद शाम को करीब 6 बजे जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दिल्ली के लिये रवाना हो गये थे. उनके दिल्ली जाने के बाद से ही सियासी हलकों में तरह-तरह की अटकलें शुरू हो गयी थीं.
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा भेजे गये पत्र को सार्वजनिक करने को लेकर एक सितंबर को यूपीए का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमेश बैस से मिला था. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि हां, भारत निर्वाचन आयोग से पत्र मिला है, शीघ्र ही स्थिति स्पष्ट करेंगे. प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से इस संदर्भ में शीघ्र स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया था. राज्यपाल द्वारा प्रतिनिधिमंडल को शीघ्र ही समुचित कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया था.
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