बिहार | रंगों का त्योहार होली का इंतजार भला किसे नहीं होता कहा जाता है इस पर्व पर लोग दुश्मन को भी गले लगा लेते हैं लेकिन अपने देश में एक ऐसा गांव है जहां लोग होली मनाने से डरते हैं |आपको बता दें यह गांव बिहार में है जहां लगभग 200 वर्षों से होली नहीं मनाई जा रही | आपने ठीक समझा यह गांव है मुंगेर जिले का सती स्थान यहां आखिर क्यों नहीं मनाई जाती होली ,होली के हुड़दंग में यहां क्यों फैला रहता है सन्नाटा और तो और लोग इस दिन होली का पकवान तक नहीं बनाते | इतना ही नहीं इस गांव का अगर कोई बसींदा अपने गांव से बाहर कहीं अन्य जगह पर रहता है तो वह वहां भी होली नहीं मनाता | हम आपको बताते हैं इन सारे सवालों का जवाब बुजुर्गों से सुनी सुनाई बातों का हवाला देते हुए गांव के लोग बताते हैं कि कभी गांव में एक वृद्ध दंपत्ति रहा करते थे | वह फागुन महीने का होली का दहन का दिन था दंपति के बुजुर्ग सदस्य का निधन हो गया इसके बाद पत्नी भी पति की चिता में सती हो गई जहां वह सती हुई थी बाद में ग्रामीणों के सहयोग से वहां एक मंदिर का निर्माण कराया गया | इसके बाद उस गांव का नाम सती स्थान रखा गया |
आखिर क्यों अनहोनी का रहता है ग्रामीणों को डर
गांव के बुजुर्गों का मानना है क्योंकि फागुन महीने में ही सती होने की घटना घटी थी ऐसे में इस गांव के लोग किसी अनहोनी के डर से होली नहीं मनाते हैं कहा जाता है कि जिसने ही इस परंपरा को तोड़ने का प्रयास किया उसके घर में आग लग जाती है या फिर कोई अन्य अनहोनी घटना हो जाती है ऐसे में इस गांव में होली के दिन सन्नाटा छाया रहता है |