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📌 गांडीव लाइव डेस्क:
रांची : झारखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिससे राज्य के सात जिले अब दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) पर निर्भर नहीं रहेंगे। सरकार ने इन जिलों में अपने ट्रांसमिशन नेटवर्क का निर्माण करने की योजना बनाई है। आने वाले तीन वर्षों में झारखंड ट्रांसमिशन निगम इन क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी पूरी तरह से संभालेगा।
मुख्यमंत्री का फोकस: आत्मनिर्भरता
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ऊर्जा मंत्री ने पहले ही निर्देश दिए थे कि राज्य को बिजली आपूर्ति के मामले में आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। इस दिशा में झारखंड ट्रांसमिशन निगम ने आठ नई परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिन पर जल्द ही काम शुरू किया जाएगा।
झारखंड में बिजली आपूर्ति में सुधार
पतरातू थर्मल पावर प्लांट की पहली यूनिट के जरिए राज्य को पहले ही 585 मेगावाट बिजली मिल रही है। आने वाले दो वर्षों में दो अन्य यूनिट भी चालू होंगी, जिससे राज्य को कुल बिजली का 85% हिस्सा प्राप्त होगा। इससे झारखंड की बिजली जरूरतों का समाधान होगा और बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम होगी।
स्वतंत्रता का नया युग: सात जिलों का भविष्य
वर्तमान में झारखंड के जिन सात जिलों—देवघर, दुमका, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़, धनबाद, और बोकारो—की बिजली की मांग 1200 मेगावाट है, वहां डीवीसी केवल 600 मेगावाट ही प्रदान कर सकता है। पुराने ट्रांसमिशन सिस्टम और खराब लाइनों के कारण बिजली कटौती आम बात हो गई थी। अब, सरकार इन जिलों को अपनी बिजली सप्लाई देने की तैयारी कर रही है।
नई परियोजनाओं की लिस्ट 🏗️
सरकार ने जिन नई परियोजनाओं पर काम शुरू करने की योजना बनाई है, उनमें शामिल हैं:
- आईटीआई मोड़, चास में 132/33 केवी ग्रिड सब स्टेशन – ₹74.95 करोड़
- बलियापुर-मैथन 220 केवी ट्रांसमिशन लाइन – ₹174 करोड़
- बलियापुर-सिंदरी 132 केवी लाइन – ₹67.59 करोड़
- धनबाद में गैस इंसुलेटेड सब स्टेशन – ₹113 करोड़
- सिंदरी में लिलो ट्रांसमिशन लाइन – ₹77.66 करोड़
- मैथन में लिलो लाइन के साथ 220/132/33 केवी ग्रिड सब स्टेशन – ₹173 करोड़
- मैथन में 220/132/33 केवी जीआईएस सब स्टेशन – ₹172 करोड़
- मैथन-टुंडी 132 केवी ट्रांसमिशन लाइन – ₹126 करोड़
- सिंदरी (हर्ल) में 132/33 केवी ग्रिड सब स्टेशन – ₹74.95 करोड़

