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🔬 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2025 पर वेदांता का बड़ा इनोवेशन, भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम
रायपुर, मई 2025:
देश के सबसे बड़े एल्युमीनियम उत्पादक वेदांता एल्युमीनियम ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 2025 के मौके पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि की घोषणा की है। कंपनी ने एल्यूमीनियम उत्पादन से उत्पन्न कचरे से 99% से अधिक शुद्ध ग्रेफाइट प्राप्त करने की अत्याधुनिक प्रक्रिया का पेटेंट हासिल कर लिया है।
यह नवाचार इस वर्ष की थीम “यंत्र – नव प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं त्वरण को आगे बढ़ाने के लिए युगांतर” के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य औद्योगिक कचरे को रणनीतिक राष्ट्रीय संसाधन में बदलना है।
💡 क्या है यह breakthrough तकनीक?
- इस प्रक्रिया को वेदांता एल्युमीनियम की इन-हाउस R&D टीम ने CSIR–IMMT, भुवनेश्वर के साथ मिलकर विकसित किया है।
- यह तकनीक एल्युमीनियम उत्पादन के दौरान उत्पन्न Spent Pot Lining (SPL) और Shot Blast Dust जैसे दो प्रमुख अपशिष्टों से बैटरी-ग्रेड ग्रेफाइट की रिकवरी को संभव बनाती है।
- प्राप्त ग्रेफाइट में लिथियम-आयन बैटरी के लिए उपयुक्त उच्च विद्युत चालकता और मजबूत संरचनात्मक गुण पाए गए हैं।
🇮🇳 आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
यह पेटेंट देश के लिए कई मायनों में मील का पत्थर साबित हो सकता है:
- 70% से ज्यादा आयातित ग्रेफाइट पर निर्भरता होगी कम
- सर्कुलर अर्थव्यवस्था और सस्टेनेबिलिटी गोल्स को मिलेगा बढ़ावा
- नेट ज़ीरो एमिशन लक्ष्य को मिलेगा बल
🔋 EV और बैटरी उद्योग को मिलेगा नया जीवन
वेदांता द्वारा विकसित ग्रेफाइट की परमाणु संरचना उसे लिथिएशन और डी-लिथिएशन के लिए अत्यधिक सक्षम बनाती है, जो बैटरी परफॉर्मेंस के लिए बेहद जरूरी है। इसका उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, हाई-टेक इलेक्ट्रॉनिक्स और एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स में किया जा सकेगा।
🗣️ वेदांता एल्युमीनियम के CEO का बयान
राजीव कुमार, CEO, वेदांता एल्युमीनियम:
“भारत में EVs और हाई-टेक एनर्जी स्टोरेज की डिमांड लगातार बढ़ रही है। ऐसे में यह पेटेंटेड तकनीक न केवल एक Game-Changer है बल्कि यह हमें भारत के ‘क्रिटिकल मिनरल्स रोडमैप’ में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए भी सशक्त बनाती है।“
🔄 यह खोज क्यों है क्रांतिकारी?
- ♻️ अपशिष्ट को रणनीतिक संसाधन में बदलना
- ⚡ ग्रेफाइट का घरेलू उत्पादन बढ़ाना
- 🇮🇳 मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को मजबूती देना
📌 निष्कर्ष
वेदांता एल्युमीनियम की यह breakthrough तकनीक केवल भारत के तकनीकी सामर्थ्य का प्रमाण ही नहीं, बल्कि भविष्य में बैटरी निर्माण, EV इंडस्ट्री और मटेरियल साइंस में भारत की वैश्विक स्थिति को भी मजबूत करेगी। यह कदम भारतीय नवाचार के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ता है।

