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नई दिल्ली: लियोनल मेसी के कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान हुई हलचल ने देशभर में चर्चा का विषय बना दिया है। हजारों प्रशंसकों ने अपने प्रिय फुटबॉल सितारे को देखने का उत्साह दिखाया, किंतु कार्यक्रम की समाप्ति अपेक्षाकृत जल्दी हो गई।
नाराज प्रशंसकों ने स्टेडियम में तोड़फोड़ की और बोतलें फेंकीं। इस उथल-पुथल के बाद आयोजक सतद्रु दत्ता को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस घटना पर पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सुनील गावस्कर ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
कोलकाता में क्या हुआ था?
13 दिसंबर को मेसी अपने साथी लुइस सुआरेज और रोड्रिगो डे पॉल के साथ कोलकाता आए। इस कार्यक्रम को प्रशसंक के लिए दो घंटे का बताया गया था, लेकिन मेसी केवल 20-22 मिनट ही उपस्थित रहे।
स्टेडियम में उपस्थित राजनीतिज्ञों, वीआईपी और सुरक्षा कर्मियों की अधिकता के कारण प्रशंसकों को मेसी की सही-सही झलक भी नहीं मिली। आयोजक लगातार यह अनुरोध करते रहे कि वे मैदान खाली करें, लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
मेसी के जाने के बाद हुआ हंगामा
जब मेसी जल्दी चले गए, तो बाहर मौजूद नाराज प्रशंसकों ने हंगामा कर दिया। उन्होंने स्टेडियम की संपत्ति को नुकसान पहुँचाया। पुलिस ने आयोजक सतद्रु दत्ता को एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया, जब वे मेसी को विदा करने गए थे। काफी लोग राजनीतिज्ञों और वीआईपी को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं, लेकिन गावस्कर इससे सहमत नहीं हैं।
गावस्कर ने मेसी को क्यों ठहराया जिम्मेदार?
सुनील गावस्कर ने अपने कॉलम में लिखा कि सबको दोष दिया जा रहा है, सिवाय उस व्यक्ति के जिसने अपने वादे का पालन नहीं किया। उनका कहना है कि यदि मेसी ने तय समय पर रहने का वादा किया था, लेकिन वे जल्दी चले गए, तो असली दोषी मेसी और उनकी टीम हैं।
गावस्कर ने कहा, “सुरक्षा के दृष्टिकोण से कोई समस्या नहीं थी। मेसी आसानी से मैदान के चारों ओर घूम सकते थे या पेनाल्टी किक ले सकते थे। इससे वीआईपी को हटना पड़ता और प्रशंसकों को अपने हीरो को देखने का मौका मिलता।”
गावस्कर ने हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली की दिलाई याद
उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि मेसी के हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली के कार्यक्रम बिना किसी समस्या के सफल रहे। इससे यह साबित होता है कि अगर वादे पूरे किए जाते, तो कोलकाता में भी सब ठीक रहता।
गावस्कर का मानना है कि आयोजकों को दोष देने से पहले यह देखना चाहिए कि दोनों पक्षों ने अपने वादे निभाए या नहीं। वे आयोजकों का समर्थन कर रहे हैं और कहते हैं कि केवल भारतीयों को दोष देना उचित नहीं है।
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