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Sanchar Saathi App: नई तकनीकी पहल
हाल ही में, भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया को और मजबूत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। संचार साथी नामक एक सरकारी ऐप को स्मार्टफोन पर इंस्टॉल करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस ऐप का मुख्य उद्देश्य चोरी हुए फोन का पता लगाना है। अब देश में बेचे जाने वाले हर नए स्मार्टफोन में यह ऐप पहले से मौजूद होगा, जबकि पहले से मौजूद फोन में इसे सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा।
संचार साथी ऐप की आवश्यकताएँ
संचार साथी ऐप, जो एंड्रॉयड और आईओएस दोनों प्लेटफार्म पर उपलब्ध है, विभिन्न प्रकार की परमिशन मांगता है। हालांकि, एंड्रॉयड पर इसकी एक्सेस अधिक होती है जिसमें फोन के हार्डवेयर और डेटा तक पहुंच शामिल है। इसका उद्देश्य फोन का IMEI नंबर पढ़कर चोरी होने पर उसे ट्रैक करना है। इसके सही कार्यान्वयन के लिए, ऐप को निम्नलिखित परमिशन की आवश्यकता होती है:
- कैमरा
- कॉल लॉग
- टेलीफोन
- SMS
- स्टोरेज
- फ्लैशलाइट की अनुमति
- फोरग्राउंड सेवा चलाना
- वाइब्रेटर नियंत्रण
- स्टार्टअप पर चलाना
- गूगल प्ले लाइसेंस चेक
- पूर्ण नेटवर्क एक्सेस
- नेटवर्क कनेक्शन देखने की अनुमति
- फोन को सोने से रोकना
- सूचनाएँ दिखाना
क्या संचार साथी ऐप खतरनाक है?
संचार साथी ऐप की मांगी गई एक्सेस को खतरनाक नहीं कहा जा सकता है। विभिन्न ऐप्स अपनी कार्यप्रणाली के अनुसार अलग-अलग परमिशन मांगते हैं। इस ऐप का मुख्य कार्य चोरी हुए फोन का ट्रैकिंग करना है, इसलिए इसे अपनी जरूरत के अनुसार अधिक एक्सेस की आवश्यकता होती है। हालांकि, यह सच है कि यह ऐप संवेदनशील सूचनाओं तक पहुँच सकता है, जिसका दुरुपयोग भी संभव है।
चोरी हुए फोन का पता लगाने के लिए ऐप का जो कार्य है, वह उपयोगी है, लेकिन अगर गलत हाथों में पड़ जाए तो इस जानकारी का दुरुपयोग किया जा सकता है। इसलिए, उपयोगकर्ताओं को इस ऐप के संबंध में सावधानी बरतनी चाहिए।
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