रांची सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने नेशनल शूटर तारा शाहदेव को प्रताड़ित करने के तीनों दोषियों रंजीत कोहली उर्फ रकिबुल हसन, हाईकोर्ट के बर्खास्त पूर्व रजिस्ट्रार (विजिलेंस) मुश्ताक अहमद और कोहली की मां कौशल रानी के खिलाफ सजा का एलान कर दिया है. CBI कोर्ट ने रंजीत कोहली को IPC की धारा 120B, 376,323,298,506 और 496 में दोषी पाया गया है. वहीं कौशल्या रानी को IPC की धारा 120B,298,506 और 323 में दोषी पाया गया है. मुश्ताक अहमद को IPC की धारा 120B और 298 में दोषी पाया गया है.
रकिबुल उर्फ रंजीत कोहली को आजीवन कारावास का सजा दी गयी है. उस पर पचास हज़ार का जुर्माना लगा है. मुश्ताक अहमद को 15 साल सश्रम कारावास की सजा और पचास हजार जुर्माना, कौशल रानी को दस साल की सजा, पचास हजार का जुर्माना लगाया गया है
सभी को 30 सितंबर को दोषी करार दिया गया था
कोर्ट ने उक्त सभी को 30 सितंबर को दोषी करार दिया था जिसके बाद से ये न्यायिक हिरासत में हैं. सीबीआई की ओर से केस साबित करने के लिए कुल 26 गवाह पेश किये गये. उन गवाहों और सीबीआई द्वारा पेश किये गये सबूतों के आधार पर कोर्ट ने रकिबुल हसन उर्फ रंजीत कोहली, मुश्ताक अहमद और कौशल रानी को दोषी करार दिया था.
दो जुलाई 2018 को रकिबुल हसन उर्फ रंजीत कोहली, मुश्ताक अहमद और कौशल रानी के खिलाफ आरोप गठित किया था. रांची के हिंदपीढ़ी थाना में दर्ज प्राथमिकी 742/2014 को सीबीआई ने वर्ष 2015 में टेक ओवर किया था. सीबीआई की दिल्ली ब्रांच ने इस मामले में कांड संख्या RC/ 9S/15 दर्ज किया था.
तारा शाहदेव के साथ मारपीट करने व धर्म परिवर्तन का था आरोप
रंजीत कोहली उर्फ रकिबुल हसन, मुश्ताक अहमद और कौशल रानी पर सोची समझी साजिश के तहत तारा शाहदेव के साथ मारपीट करने, धर्म परिवर्तन के लिए प्रताड़ित करने और उसके साथ छेड़छाड़ करने का आरोप था, जो कोर्ट के फैसले के बाद अब प्रमाणित हो गया है. आरोपों के मुताबिक, 7 जुलाई 2014 को तारा शाहदेव और रकिबुल उर्फ रंजीत कोहली की शादी हिंदू रीति रिवाज के साथ हुई थी. लेकिन शादी के दूसरे दिन यानी 8 जुलाई को रकिबुल और मुश्ताक अहमद ने तारा को इस्लाम धर्म के मुताबिक निकाह करने और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव देना शुरू किया. शादी के कुछ दिनों बाद तारा जब मुश्ताक अहमद के घर इफ्तार पार्टी में गयी तो उसने गलत नीयत से उसके साथ छेड़छाड़ की. सीबीआई ने जो अहम गवाह कोर्ट में पेश किये उसमें तारा शाहदेव , दिवंगत पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, काजी जान मोहम्मद, ब्लेयर अपार्टमेंट के निवासी, झारखंड पुलिस की तत्कालीन सब इंस्पेक्टर दीपिका कुमारी (जिन्होंने तारा को रेस्क्यू किया था), केस आईओ (जांच पदाधिकारी) हरीशचंद्र सिंह और सीबीआई की केस आईओ सीमा पहूजा शामिल थे. सीबीआई की ओर से वरीय लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह ने इस मामले में पक्ष रखा.
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