IPL 2026 मिनी नीलामी में जय शाह के नए नियम पर विरोध तेज

by TejaswitaTejaswita Mani
30 करोड़ की बोली फिर भी मिलेंगे 18 करोड़! IPL ऑक्शन में जय शाह के इस नियम पर मचा घमासान | IPL 2026 mini auction debate sparks on new rule for overseas players rs 18 crore salary cap

नई दिल्ली: आईपीएल में इन दिनों एक नियम चर्चा का विषय बना हुआ है, जो विदेशी खिलाड़ियों की वेतन सीमा को नियंत्रित करता है। इस बदलाव में बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जय शाह की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जा रही है।

यदि किसी विदेशी खिलाड़ी के लिए 30 करोड़ रुपये की बोली लगती है, तो उसे अधिकतम 18 करोड़ रुपये ही मिलेंगे, जबकि शेष राशि बीसीसीआई के पास चले जाएगी। इस नियम के कारण विदेशी प्रशंसक निराश हैं और सोशल मीडिया पर इस पर बहस चल रही है।

नियम की व्याख्या

बीसीसीआई ने पिछले वर्ष आईपीएल में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया, जिसका उद्देश भारतीय खिलाड़ियों को प्राथमिकता देना है। यह नया नियम विदेशी खिलाड़ियों के वेतन को सबसे अधिक आमदनी वाले भारतीय खिलाड़ी की रिटेंशन फीस से जोड़ा गया है।

मिनी ऑक्शन में सबसे ऊंची रिटेंशन फीस 18 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। इस कारण इस बार के मिनी ऑक्शन में कोई भी विदेशी खिलाड़ी यदि कितनी भी ऊँची बोली लगवाए, तो उसे अधिकतम 18 करोड़ रुपये ही मिलेंगे। यदि बोली 18 करोड़ रुपये से अधिक होती है, तो अतिरिक्त राशि बीसीसीआई के पास जाएगी, जिसका उपयोग खिलाड़ियों की भलाई के कार्यों में किया जाएगा।

पिछले ऑक्शन में रकम

पिछले मेगा ऑक्शन (आईपीएल 2025) में ऋषभ पंत को भारतीय खिलाड़ी के रूप में सबसे अधिक 27 करोड़ रुपये मिले थे। उस वक्त यदि किसी विदेशी खिलाड़ी को 30 करोड़ की बोली लगाई जाती, तो उसे भी केवल 27 करोड़ ही मिलते और बाकी की राशि बीसीसीआई के खजाने में चली जाती।

नियम की आवश्यकता

यह बदलाव फ्रेंचाइजी टीमों की शिकायतों के बाद लागू किया गया था। कई विदेशी खिलाड़ी चयनित तरीके से मिनी ऑक्शन में भाग लेकर अधिक पैसे जुटा रहे थे, जिससे टीमों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। इसी कारण बीसीसीआई ने दो महत्वपूर्ण कदम उठाए।

बीसीसीआई के नए नियम

पहला, यदि कोई खिलाड़ी रजिस्ट्रेशन के बाद ऑक्शन से बाहर होता है, तो उसे दो वर्ष के लिए आईपीएल में खेलने से बैन कर दिया जाएगा। इसके साथ ही, जो विदेशी खिलाड़ी मेगा ऑक्शन में भाग नहीं लेंगे, वे मिनी ऑक्शन में भी नहीं आ सकेंगे।

दूसरा, यही सैलरी कैप का नियम विदेशी खिलाड़ियों पर लागू होगा। इसका मकसद लीग को संतुलित रखने और भारतीय खिलाड़ियों को बढ़ावा देना है।

विवाद की जड़

इस नियम के कारण विदेशी प्रशंसक और कई क्रिकेट प्रेमियों में नाराजगी उत्पन्न हुई है। उनका मत है कि यदि बाजार किसी विदेशी खिलाड़ी को अधिक कीमत दे रहा है, तो उसे पूरी राशि मिलने का हक है। यह नियम अनुचित प्रतीत हो रहा है और ‘इंडिया फर्स्ट’ की अमोख नीति की तरह लग रहा है।

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