रांची: अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में संचालित प्रारम्भिक विद्यालय जहा शत-प्रतिशत उर्दू भाषी छात्र पढ़ते है उन विधालयों में रविवार के बजाय शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी दिये जाने और हाथ जोड़कर प्रार्थना नही करने के मामले पर सरकार एवं शिक्षा विभाग द्वारा किये जा रही कार्रवाई के विरोध में आमया संगठन ने आज दिनांक 31 जुलाई 2022 को मौलाना आज़ाद कांफ्रेंस हाॅल रांची में परिचर्चा कर इसकी निंदा किया।
संगठन के अध्यक्ष एस अली ने कहा कि वर्षों से इन विधालयों में शुक्रवार को छुट्टी और रविवार को विधालय का संचालन कि परम्परा रही है, सभी विधालयों में प्रार्थना होती है लेकिन हाथ जोड़कर करने के लिए बाध्य नही किया जा सकता, मुम्बई हाईकोर्ट ने वर्ष 2013 में इसपर फैसला भी दिया है।
उनहोंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों के लिए उर्दू शिक्षकों के 3712 रिक्त पड़े पदों को स्नातक टेट उत्तीर्ण से भरने,
+2 विधालयों में उर्दू शिक्षक के पद सृजित करने,
हाई-स्कूल के बैकलाॅग उर्दू शिक्षकों के पदों को भरने,
प्रारम्भिक विधालयों में उर्दू लिपि में विज्ञान, गणित और समाजिक विज्ञान की किताबें देने, की मांग वर्षों से की जा रही लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नही किया गया।
सरकार उर्दू और अल्पसंख्यक के प्रति उदासीन है ढाई वर्षों में भी 15 सुत्री कमिटी, वक्फ बोर्ड, अल्पसंख्यक आयोग, अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, उर्दू एकेडेमी आदि का गठ़न नही किया गया है।
इन सभी सवालों को लेकर 23 अगस्त 2022 को राजभवन रांची सहित संथाल परगना एवं दूसरे प्रमंडल में धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
मौके पर आमया संगठन के पदाधिकारी मो फुरकान, लतीफ आलम, जियाउद्दीन अंसारी, इमरान अंसारी, नौशाद आलम, एकराम हुसैन, शाहिद अफरोज, मो सईद, अरशद जिया, मो जावेद , अब्दुल गफ्फार, अब्दुल बारीक, तहमीद अंसारी, ज़ियारत अंसारी, अफताब गद्दी, एकराम अंसारी, अफजल खान, मोईज अहमद, उमर साज़िद, अफसर अंसारी, डां एकबाल, दानिश आय़ाज, वारिस अंसारी, अशजद रज़ा आदि शामिल थे।