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फ्रांस में आर्थिक कटौती के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन

by Vidya Singh
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📌 गांडीव लाइव डेस्क:

फ्रांस में पिछले कुछ समय से चल रही आर्थिक कटौती और कठोर नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों की लहर फिर से तेज हो गई है। गुरुवार को, देशभर के 200 से अधिक शहरों और कस्बों में हजारों लोग, जिनमें सेवानिवृत्त व्यक्ति, छात्र, और नागरिक शामिल थे, सड़कों पर उतर आए। पेरिस में प्लेस डी’इटाली से शुरू हुआ मार्च शहर में व्यापक असर डाल गया।

एफिल टावर बंद, प्रदर्शनकारियों की संख्या में इजाफा 🏛️

फ्रांसीसी गृह मंत्रालय के अनुसार, लगभग 1,95,000 प्रदर्शनकारी पूरे देश में सड़कों पर थे, जिनमें अकेले पेरिस में 24,000 शामिल थे। हालांकि, यूनियनें दावा कर रही हैं कि वास्तविक संख्या 10 लाख से अधिक है। यह विरोध प्रदर्शन देश की प्रमुख यूनियनों द्वारा आयोजित राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत हो रहा है, जो पिछले महीने से चल रही राजनीतिक अस्थिरता और 2026 के बजट पर बहस के बीच हो रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों का मुख्य नारा है: “धनिकों पर अधिक टैक्स लगाओ, सार्वजनिक सेवाओं में कटौती बंद करो!” वे सरकार की 44 अरब यूरो की कटौती योजना का विरोध कर रहे हैं, जिसमें दो सार्वजनिक अवकाश समाप्त करने और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर रोक लगाने के प्रस्ताव शामिल हैं।

पेरिस में भव्य प्रदर्शन और बैनर ✊

पेरिस में दोपहर 2 बजे प्लेस डी’इटाली से शुरू हुआ मार्च प्लेस वॉबन तक पहुंचा। प्रदर्शनकारियों ने फ्लेयर्स जलाए और बैनर लहराए, साथ ही सरकार के खिलाफ नारे लगाए। एफिल टावर के संचालन कंपनी के अध्यक्ष जीन-फ्रांस्वा मार्टिन्स ने बताया कि अधिकांश कर्मचारी हड़ताल पर हैं, जिसके कारण एफिल टावर बंद रहा। टावर के प्रवेश द्वार पर एक नोटिस लगा था: “हड़ताल के कारण एफिल टावर बंद है, हमें खेद है।”

ऑनलाइन टिकट खरीदने वाले पर्यटकों के लिए रिफंड का आश्वासन दिया गया है। यह हाल के दिनों में दूसरी बार है जब एफिल टावर प्रदर्शनों के कारण बंद हुआ है, पहली बार 18 सितंबर को भी ऐसा हुआ था। पुलिस ने 76,000 कानून प्रवर्तन अधिकारियों को तैनात किया है ताकि किसी भी हिंसा को रोका जा सके।

राजनीतिक संकट और आर्थिक दबाव ⚖️

ये प्रदर्शन 18 सितंबर के बड़े मार्च के बाद फिर से शुरू हुए हैं, जब 5 लाख से अधिक लोग सड़कों पर आए थे। वर्तमान में फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता अपने चरम पर है, जहां राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सरकार के पास पूर्ण बहुमत नहीं है और बजट बहस में गतिरोध बना हुआ है।

यूनियनें आरोप लगाती हैं कि इन कटौतियों का लाभ केवल धनी वर्ग को होगा, जबकि महंगाई और जीवनयापन की बढ़ती लागत सामान्य जनता को प्रभावित कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने एलवीएमएच के सीईओ बर्नार्ड अर्नॉल्ट जैसे अरबपतियों के खिलाफ पो스터 प्रदर्शित किए हैं, जिन पर टैक्स हेवन्स का इस्तेमाल करने का आरोप है। इन संघर्षों में विपक्षी दल और जमीनी स्तर के संगठन भी शामिल हो गए हैं। संसद में वर्ष के अंत तक बजट विधेयक पर बहस होगी, और यूनियनें इस दौरान अधिक दबाव बनाने की योजना बना रही हैं।

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