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झारखंड अलग राज्य उपहार में नहीं, आंदोलनकारियों के त्याग, संघर्ष व शहादत के बल पर हुआ

by Aaditya Hriday

राज्यपाल का अभिभाषण गलत : मथुरा

रांची। झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के मुख्य संरक्षक व जेएमएम के सचेतक मथुरा प्रसाद महतो द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समर्पित नव वर्ष का कैलेंडर का लोकार्पण एवं राज्यपाल के द्वारा झारखंड विधानसभा के 22 वें स्थापना दिवस में झारखंड अलग राज्य को उपहार में दिए जाने के संदर्भ दिए गए अभिभाषण का विरोध किया गया। श्री महतो के मोरहाबादी , दीनदयाल नगर स्थित आवास में आयोजित लोकार्पण व संवाददाता सम्मेलन में में कहीं । उन्होंने कहा कि झारखंडियों के त्याग,संघर्ष व बलिदान के बल व संविधान की धारा 3 (अ) के तहत भाषा व संस्कृति के आधार पर हुआ है। उपहार में मिला हुआ स्वाभाविक राज्य झारखंड नहीं है। लाखों झारखंड आंदोलनकारियों के खून से बना है। ये बात और है कि तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल में तीन राज्य एक साथ बने उसमें झारखंड भी एक है। आज भी वृहद अलग राज्य का सपना अधूरा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में आंदोलनकारियों के लिए जेल जाने की बाध्यता समाप्त करने की दिशा में पहल हुई है। कई लाभ व मान सम्मान दिए जा रहे है। इस अवसर पर टी ए सी के सदस्य व झारखंड आंदोलनकारी विश्वनाथ सिंह सरदार ने कहा कि झारखंड अलग राज्य की मांग 1928 ईस्वी में उन्नति समाज के द्वारा साइमन कमीशन के समक्ष की गई थी। झारखंड अलग राज्य बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था लेकिन झारखंड, पूंजीपतियों और झारखंड अलग राज्य के विरोधी शक्तियों के कारण नहीं हो सका था। उन्होंने कहा किकोई अलग राज्य उपहार में नहीं मिला है अगर यह कोई कहता है तो संविधान के दायरे से बाहर की बात है। संघर्ष मोर्चा के संस्थापक पुष्कर महतो ने कहा कि राज्यपाल रमेश बैस जो संवैधानिक पद पर बैठा हुआ विशेष व्यक्ति व भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी को झारखंड आंदोलन की ऐतिहासिकता, झारखंड आंदोलनकारियों के संघर्ष एवं कुर्बानियों का अध्ययन नहीं है। इसलिए वे झारखंड अलग राज्य को उपहार में देने की बातें कह झारखंड आंदोलनकारियों का उपहास उड़ाने का काम किए है। झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा इसका पुरजोर विरोध करती है।
केंद्रीय सयोजक, भुवनेश्वर केवट ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। मौके पर जबील्लाह अंसारी, रवि नंदी,दिवाकर साहू ,सरोजनी कच्छप,रानी कुमारी, ज्ञानेश्वर सिंह यादव व अन्य थे।
पुष्कर महतो
संस्थापक,

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