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मुकेश रावल: एक अद्वितीय कलाकार की दर्दनाक कहानी
4पीएम न्यूज नेटवर्क: एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की जटिलताओं को समझना मुश्किल है। यहां कई सितारे हैं जिनकी ज़िंदगी एक अलग दिशा में चलती है। किसी को जल्दी सफलता मिलती है, तो कुछ स्टार्स फेम के बावजूद गुमनामी में खो जाते हैं। कुछ सितारे तो अपनी कला के लिए प्रसिद्ध होते हैं, लेकिन उनके जाने के बाद चर्चा का विषय बन जाते हैं।
विभीषण के रूप में याद किए जाने वाले मुकेश रावल
ऐसे ही एक कलाकार हैं मुकेश रावल, जिन्होंने रामानंद सागर की ‘रामायण’ में रावण के भाई विभीषण का शानदार किरदार निभाया। इस शो के जरिए उन्होंने लाखों दर्शकों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया, लेकिन उनकी ज़िंदगी का अंत बेहद दुखद रहा। मूर्त रूप में जिनकी अदाकारी ने दर्शकों को मोहित किया, उनके अंतिम क्षणों में दर्दनाक घटनाएँ घटीं।
बेहद ट्रैजिक निजी जीवन
मुकेश रावल ने अपने करियर की शुरुआत मशहूर थिएटर से की थी और उन्हें रामायण में विभीषण के रोल के लिए रामानंद सागर द्वारा चुना गया था। जबकि वे मेघनाद का किरदार अदा करना चाहते थे, विभीषण के रोल ने ही उन्हें शोहरत की सीढ़ियाँ चढ़ने में मदद की। लेकिन, उनके व्यक्तिगत जीवन में कई चुनौतियाँ थीं। 2000 में उनके इकलौते बेटे की मृत्यु ने उन्हें गहरे सदमे में डाल दिया, जिसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा।
दुखद अंत और उनकी विरासत
2016 में खबर आई कि मुकेश रावल का निधन हो गया। उनकी लाश मुंबई के कांदिवली में रेलवे ट्रैक पर मिली, जो एक जटिल और दर्दनाक स्थिति में थी। यह कहा जाता है कि वे अपने बेटे के जाने के गम में डिप्रेशन में थे। उस समय हुई इस घटना ने उनके परिवार और प्रशंसकों को गहरे दुख में डाल दिया। उनकी मौत को पुलिस ने सुसाइड की तरह देखा, लेकिन परिवार ने किसी प्रकार की सुसाइड की आशंका से इनकार किया।
टीवी और सिनेमा में प्रभाव
मुकेश रावल का करियर कई टेलीविजन धारावाहिकों में काम करने से भरा था। उनकी अंतिम हिंदी फिल्म ‘हॉन्टेड 3D’ थी। आज भी लोग उन्हें ‘रामायण’ में विभीषण के किरदार से याद करते हैं, जिसे उन्होंने केवल निभाया नहीं, बल्कि जिया भी। उनकी अदाकारी ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दी, जो लंबे समय तक दर्शकों के दिलों में जीवित रहेगी।
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