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अपने पारंपरिक ज्ञान और भाषा को आने वाली पीढ़ी को अवगत करायें : डॉ तोशिकी ओसादा

by Aaditya Hriday


जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में झारखंडी एवं जापानी भाषाओं का अंत:संबंध विषय पर व्याख्यान

रांची। रांची विश्वविद्यालय जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संकाय में जापान के भाषा वैज्ञानिक डॉ तोशिकी ओसादा के द्वारा झारखंडी एवं जापानी भाषाओं का अंत:संबंध विषय पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया। व्याख्यानमाला में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ तोशिकी ओसादा ने कहा कि हमलोगों को अपनी भाषा और संस्कृति नहीं छोड़ना चाहिए। अपने पारंपरिक ज्ञान को आने वाली पीढ़ी को भी अवगत करायें। ताकि वे अपने परंपरा को जान और समझ सकें। उन्होंने कहा कि हमें अधिक से अधिक अपनी भाषा में बातचीत करना चाहिए। भाषा को मजबूत करने के लिए साहित्य भी लिखना चाहिए। उन्होंने उपस्थित शोधकर्ताओं एवं छात्रों को झारखंडी एवं जापानी भाषाओं का अंत:संबंध के विभिन्न पहलुओं पर सूक्ष्मता पूर्वक बताया। उन्होंने शोधकर्ताओं को झारखंड प्रदेश की भाषायी, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं कई अन्य पहलुओं पर शोध कार्य करने के लिये प्रेरित किया। व्याख्यानमाला के अंत में कई प्राध्यापक, शोधकर्ताओं एवं छात्रों ने प्रोफेसर डाक्टर गौतम से अनेक प्रश्न किये। जिसका उन्होंने सहजता पूर्वक उत्तर दिया। व्याख्यानमाला में स्वागत समन्वयक डॉ. हरि उरांव ने जबकि धन्यवाद किशोर सुरीन ने किया। संचालन मुण्डारी विभाग के प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार सोय ने किया। इससे पहले व्याख्यानमाला के आरंभ में अतिथि को पुष्प गुच्छ और साल देकर स्वागत किया गया। इस मौके पर मुण्डारी विभाग के विभागाध्यक्ष नलय राय, मनय मुंडा, नागपुरी भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी, डॉ खालिक अहमद, मधु, डॉ सविता केसरी, डॉ. बीरेन्द्र कुमार महतो, डॉ रीझू नायक, करम सिंह मुंडा, डॉ सरस्वती गगराई, शकुंतला बेसरा, डॉ अजीत मुंडा के अलावा विभाग के शिक्षक, शोधकर्ता व छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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