‘अभिषेक शर्मा के संघर्ष पर कोच राजकुमार शर्मा का खुलासा’

by TejaswitaTejaswita Mani
'सुबह 4 बजे से प्रैक्टिस, ताबड़तोड़ सिक्स फिर भी किससे पड़ती डांट...', अभिषेक शर्मा के संघर्ष के बारे में बचपन के कोच का खुलासा | abhishek sharma childhood coach Rajkumar Sharma reveal his journey

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के युवा ओपनर अभिषेक शर्मा अब हर गेंदबाज के लिए एक चुनौती बन चुके हैं। टी-20 प्रारूप में उनके द्वारा लगातार लगाए जा रहे छक्कों ने उन्हें फैंस के बीच “सिक्सर किंग” का उपनाम दिला दिया है।

हालांकि, अभिषेक की यह सफलता रातोंरात प्राप्त नहीं हुई। इसके पीछे की कहानी वर्षों की मेहनत, समर्पण और कुछ खास लोगों का समर्थन है। आइए जानते हैं कि अभिषेक शर्मा की सफलता के पीछे का असली कारण क्या है।

सुबह 4 बजे से शुरू होती थी दिनचर्या

अभिषेक के पिता और पहले कोच, राजकुमार शर्मा, ने बताया कि “जब वह 13-14 साल का था, तब भी उसकी दिनचर्या सुबह 4 बजे शुरु होती थी। जिम, दौड़, तैराकी और अन्य फिटनेस गतिविधियों के लिए वह पूरी मेहनत करता था। फिर वह नेट पर घंटों बल्लेबाजी करता था। शाम को भी उसका उत्साह कम नहीं होता था।”

11 साल की उम्र में ही छक्के उड़ाते थे

पंजाब के जूनियर कोच अरुण बेदी आज भी आश्चर्यचकित हैं कि इतनी छोटी उम्र में अभिषेक कैसे इतने लम्बे छक्के मारता था। उन्होंने कहा, “उस उम्र में बच्चे केवल बॉल को बल्ले पर सही तरीके से हिट करना सीखते हैं, जबकि अभिषेक लॉफ्टेड छक्के मार रहा था। वह कहीं भी खड़े होकर गेंद को सीधे स्टैंड के बाहर भेज देता था।”

युवराज सिंह बने गॉडफादर

लॉकडाउन के दौरान अभिषेक को युवराज सिंह का साथ मिला, जो उनके लिए एक बड़ा उपहार था। युवराज ने न केवल नेट में उनके साथ ट्रेनिंग की, बल्कि आज भी फोन पर उन्हें सुधारने की कोशिश करते हैं। अभिषेक के पिता ने कहा, “अभिषेक आज भी युवराज से डरा हुआ रहता है। एक गलती हुई और फोन आ गया ‘क्या कर रहा है तू?’”

अभिषेक ने युवराज के साथ गोल्फ खेलना भी शुरू किया। ब्रायन लारा और युवराज की सलाह थी कि गोल्फ से बैट स्विंग और टाइमिंग को ठीक करने में मदद मिलती है। इसका परिणाम यह हुआ है कि आज अभिषेक का बैट स्विंग दुनिया में सबसे बेहतरीन माने जाते हैं।

30 टी-20 मैचों में 1000+ रन और छक्कों की भरपूर संख्या

अंतरराष्ट्रीय टी-20 क्रिकेट में केवल 30 मैच खेलकर 1000 से अधिक रन बनाना और लगातार छक्के लगाना, यह आंकड़े खुद अपनी कहानी बयां करते हैं। यह सब एक ऐसे बेटे की मेहनत का नतीजा है जो सुबह 4 बजे उठता था, गेंदों को स्टैंड के बाहर भेजता था, और आज भी अपने मेंटॉर युवराज के डांट से डरता है।

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