बिहार चुनावों में करोड़पति उम्मीदवारों की भरमार, 92 NDA और 86 महागठबंधन के धनी उम्मीदवार

by Aaditya HridayAaditya Hriday
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📌 गांडीव लाइव डेस्क:

बिहार विधानसभा चुनाव में करोड़पतियों की भरमार 💰

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर खड़े उम्मीदवारों में से 73 प्रतिशत, यानी 178 उम्मीदवार करोड़पति हैं। चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र में यह जानकारी सामने आई है। उल्लेखनीय है कि केवल 35 प्रतिशत यानी 65 उम्मीदवारों की संपत्ति एक करोड़ रुपये से कम है।

एनडीए और इंडिया गठबंधन का आंकड़ा

क्रोड़पतियों की सूची में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के 92 उम्मीदवार शामिल हैं, जबकि इंडिया गठबंधन (India alliance) के 86 उम्मीदवार इस श्रेणी में आते हैं।

लखपतियों की स्थिति

लखपति उम्मीदवारों की बात की जाए तो 64 में से 35 इंडिया गठबंधन से हैं, जबकि 29 एनडीए के हैं। इस सूची में वाम दल के 14 उम्मीदवार भी शामिल हैं।

सबसे अमीर और सबसे गरीब उम्मीदवार

बरबीघा से जदयू के उम्मीदवार कुमार पुष्पंजय की संपत्ति 71.57 करोड़ रुपये है, जो उन्हें सबसे अमीर बनाती है। वहीं, आरा से माले के क्यामुद्दीन अंसारी केवल 37 हजार रुपये की चल संपत्ति के साथ सबसे गरीब उम्मीदवार हैं।

टॉप पांच अमीर उम्मीदवारों की सूची

पहले चरण के दौरान जिन पांच अमीर उम्मीदवारों का नाम सामने आया है, वे हैं:

  1. देव कुमार चौरसिया (राजद, हाजीपुर) – 67 करोड़ रुपये
  2. सिद्धार्थ सौरभ (भाजपा, बिक्रम) – 42.87 करोड़ रुपये
  3. अरुण कुमार गुप्ता (राजद, बड़हरिया) – 40.9 करोड़ रुपये
  4. अनंत सिंह (जदयू, मोकामा) – 37.88 करोड़ रुपये

संपत्ति की असमानता 🌍

चुनाव आयोग के दस्तावेजों के अनुसार, हायाघाट से माकपा उम्मीदवार श्याम भारती की संपत्ति केवल 39 हजार रुपये है। वहीं, अगिआंव से भाजपा के उम्मीदवार महेश पासवान ने 55 हजार रुपये की संपत्ति बताई है।

श्याम के पास केवल एक पुरानी बाइक है, जबकि उनकी पत्नी के नाम पर 2.36 लाख की चल और 55.63 लाख की अचल संपत्ति है। महेश पासवान के पास आठ लाख रुपये की कृषि योग्य भूमि है, और लोजपा (रा) के विष्णुदेव पासवान के पास 3.62 लाख रुपये की चल संपत्ति है।

निष्कर्ष

बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों की संपत्ति की जानकारी यह दर्शाती है कि एक तरफ जहां करोड़पतियों की संख्या अधिक है, वहीं दूसरी तरफ कई उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनकी संपत्ति काफी कम है। यह चुनावी परिदृश्य में संपत्ति की असमानता को भी उजागर करता है।

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