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रांची: झारखंड की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है। रिम्स निदेशक डॉ. राजकुमार की अचानक बर्खास्तगी को लेकर नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर गंभीर आरोप लगाए हैं और CBI जांच की मांग की है।
🔍 क्या है पूरा मामला?
रिम्स निदेशक को हाल ही में बिना कोई स्पष्ट कारण बताए पद से हटा दिया गया। बाबूलाल मरांडी के अनुसार, डॉ. राजकुमार पर हेल्थमैप और मेडाल जैसी एजेंसियों को “अनुचित भुगतान” करने के लिए मौखिक दबाव डाला जा रहा था, जबकि AG की ऑडिट रिपोर्ट में पहले ही इस पर आपत्ति जताई जा चुकी थी।
मरांडी का दावा है कि एक दलित समुदाय से आने वाले ईमानदार और प्रतिभाशाली अधिकारी को न सिर्फ अपमानित किया गया, बल्कि बिना स्पष्टीकरण और जवाब का मौका दिए हटाया गया, जो पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है।
🗣️ बाबूलाल मरांडी का तीखा हमला
अपने X (पूर्व Twitter) पोस्ट में मरांडी ने लिखा:
“अगर हेमंत सोरेन जी में हिम्मत है, तो रिम्स निदेशक हटाए जाने के मामले की CBI से जांच कराएं। ताकि सच्चाई सबके सामने आए।”
🏗️ ठेके-पट्टों में भ्रष्टाचार का भी आरोप
मरांडी ने राज्य के विभिन्न विभागों जैसे:
- पथ निर्माण विभाग
- भवन निर्माण विभाग
- ग्रामीण विकास विभाग
- पेयजल विभाग
इन सबमें ठेकेदार चयन और भुगतान प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के संगठित नेटवर्क का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ठेके और भुगतान में विभागीय सचिवों के मौखिक आदेश पर काम होता है, और इस लूट से मिलने वाला पैसा ऊपर तक पहुंचता है।
“जो अधिकारी इस भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा बनने से मना करते हैं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।”
🧨 “कामकाजी कमाऊ विभागों में लूट की मशीनरी”
मरांडी के अनुसार, झारखंड के कई विभाग एक तरह से “कमाऊ मशीन” बन चुके हैं, जहां ठेकेदारों को मनमाने तरीके से फायदा पहुंचाया जाता है, और जो अधिकारी विरोध करते हैं उन्हें हटा दिया जाता है, जैसे कि रिम्स निदेशक के मामले में हुआ।
📢 क्या कहती है जनता?
इस मुद्दे ने आम जनता और चिकित्सा जगत दोनों के बीच बड़ी बहस छेड़ दी है। लोग सवाल पूछ रहे हैं:
- क्या ईमानदार अफसरों के लिए कोई सुरक्षा नहीं?
- क्या पद से हटाने से पहले पक्ष रखने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए?
- क्या यह सिर्फ राजनीतिक हस्तक्षेप का मामला है?
🛡️ अब गेंद हेमंत सोरेन के पाले में है!
बाबूलाल मरांडी ने अपनी बात साफ कर दी है — अब झारखंड की जनता, विपक्ष और मीडिया सबकी नजरें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अगले कदम पर हैं। क्या सरकार इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाएगी?

