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📌 गांडीव लाइव डेस्क:
अमेरिका में H-1B वीजा फीस में बढ़ोतरी 📨
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1-B वीजा की फीस को 6 लाख से बढ़ाकर 88 लाख रुपये कर दिया है। यह नया शुल्क 21 सितंबर 2025 से प्रभावी होगा। इस निर्णय के बाद, H1-B वीजा धारकों और नए आवेदकों के बीच कई चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं, खासकर यह जानने के लिए कि ये नई फीस किस पर लागू होगी और किन्हें रियायत मिलेगी।
भारतीय पेशेवरों पर असर 💼
इस निर्णय का सबसे अधिक असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा, क्योंकि लगभग 70% H1-B वीजा धारक भारत से हैं। ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस विषय पर उठ रही शंकाओं को दूर करने की कोशिश की है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव केरोलीन लीविट का कहना है कि 1 लाख डॉलर का शुल्क केवल नए आवेदकों पर लागू होगा। मौजूदा वीजा धारक इस नई फीस से प्रभावित नहीं होंगे।
विशेष रियातें और प्रतिबंध 🚨
भारत से तेजी से अमेरिका जाने वाले व्यक्तियों को 1 लाख डॉलर का शुल्क देने की आवश्यकता नहीं है, यदि वे रविवार से पहले अमेरिका पहुंच जाते हैं। इसके अलावा, यदि कोई कंपनी या उसका कर्मचारी अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक हित या सार्वजनिक भलाई से संबंधित है, तो गृह सुरक्षा सचिव शुल्क में छूट प्रदान कर सकते हैं।
कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ ⚖️
ट्रंप प्रशासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, यदि कोई कंपनी विदेश से किसी कर्मचारी को H-1B वीजा पर बुलाना चाहती है, तो उसे पहले 88 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। यह नियम वीजा धारकों के लिए नहीं, बल्कि उन्हें नियुक्त करने वाली कंपनियों के लिए है।
बेरोजगारी की स्थिति 📉
H1-B वीजा से अमेरिका जाने वाले कर्मचारियों में भारतीयों की संख्या अधिक होने के कारण, कंपनियों के लिए अत्यधिक फीस बढ़ने से नई नियुक्तियों में कटौती की आशंका बढ़ गई है। इसके परिणामस्वरूप, भारत में बेरोजगारी की दर में वृद्धि हो सकती है।
H-1B वीजा का महत्व
H-1B वीजा एक विशेष कार्य वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेश से पेशेवरों जैसे वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और कंप्यूटर प्रोग्रामरों को काम पर रखने की अनुमति देता है। इसकी अवधि 3 वर्ष है, जिसे 6 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
इस प्रकार, इस नए शुल्क से कई बदलावों और चिंताओं का सामना करना पड़ सकता है, विशेषकर भारतीय पेशेवरों के लिए।
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