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मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने जा रहे नगर निकाय कर्मियों को प्रशासन ने रोका

by Aaditya Hriday


सड़क पर बैठे नगर निकाय कर्मियों ने कहा मांगें पूरी नहीं हुई तो आंदोलन होगा तेज

रांची। अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने आए राज्य भर के नगर निकाय कर्मी मोरहाबादी में सड़क पर बैठे रहे। झारखंड लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के आह्वान पर राज्य के सभी नगर निगम निकाय के मजदूर और कर्मचारी आज मोरहाबादी में एकट्ठा हुए। जिसके बाद सैकड़ों की संख्या में कर्मी मोरहाबादी मैदान से मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकले। घेराव कार्यक्रम को देखते हुए जिला पुलिस की ओर से मोरहाबादी और आसपास के क्षेत्र में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था। नगर निकाय के कर्मचारियों को शिबू सोरेन आवास के पास प्रशासन ने रोक दिया। जिसके बाद कर्मी सड़क पर बैठ कर प्रदर्शन और नारेबाजी करने लगे। कर्मियों ने हेमंत सोरेन हाय हाय, आवाज दो हम एक हैं, हमारी मांगे पूरी करो के नारे लगाये। सीएम आवास घेराव कार्यक्रम में गिरिडीह, देवघर, साहिबगंज, गोड्डा, मधुपुर, पलामू और हजारीबाग सभी निकायों से मजदूरों ने भाग लिया। झारखंड लोकल बॉडीज इंप्लाइज फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा कि हेमंत सरकार पूंजी वादियों की सरकार है। इस सरकार ने सभी निकायों में काम करने वाले मजदूरों को आउटसोर्सिंग से छाटने का काम किया है। हेमंत सरकार पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों की आवाज बंद करना चाह रही है। नगर निगम के सफाई कर्मियों को न्याय मिलना चाहिए। हमें मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया जा रहा है। महामंत्री अनूप लाल हरी ने कहा कि झारखंड सरकार को हमारी 5 सूत्री मांगे माननी पड़ेगी। अगर ऐसा नहीं होता तो 20 सितंबर से झारखंड के तमाम नगर निगम के कर्मचारी मजदूर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। हम लोगों को प्रशासन के द्वारा मुख्यमंत्री आवास से पहले ही रोक लिया गया। इसलिए हम सड़क पर बैठकर आंदोलन कर रहे है। प्रदर्शन में अशोक कुमार सिंह, अनूप लाल हरी, लखन हरिजन, संजय मंडल, अरुण चंद, रामदेवरा, मृत्युंजय सिंह शामिल थे।

क्या है कर्मियों की मांगें
10 वर्ष से अधिक कार्यरत कर्मी की सेवा नियमित हो, स्थापना मद में निकायों को अनुदान एवं ऋण में 70 प्रतिशत राशि दी जाय, कर्मियों का 20 लाख की बीमा निकाय अपने स्तर से कराय, पूर्व से कार्यरत कर्मी की सेवा नियमित हो व नई नियुक्ति पर रोक लगाई जाय और एनजीओ के आधार पर कार्यरत कर्मियों को नगर निकाय में समायोजित करने की मांग शामिल है।

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