1 अप्रैल 2022 से झारखंड सहित पूरे देश में तालाबंदी की स्थिति हो जायेगी,डीआरडीए स्कीम पर लग सकता है ग्रहण,387 कर्मियों की जीविका पर आफत आ सकती है.

by Aaditya HridayAaditya Hriday
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Ranchi. झारखंड में डीआरडीए स्कीम पर ग्रहण लग सकता है. 387 कर्मियों की जीविका पर आफत आ सकती है.  सीधे तौर पर ग्रामीण विकास से जुड़े जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) कार्यालयों पर 1 अप्रैल 2022 से झारखंड सहित पूरे देश में तालाबंदी की स्थिति हो जायेगी. केंद्र सरकार ने इस स्कीम को चलाने से हाथ खड़े कर दिए हैं. यानि साफ़ है कि इस स्कीम के लिए केंद्र सरकार से मिलने वाला 60 प्रतिशत हिस्सा राज्य को नहीं मिलेगा.

ऐसे में राज्य सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती है कि वह केंद्र के हिस्से वाली 60 प्रतिशत राशि की भरपाई कैसे करेगी. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने  1 नवंबर 2021 को ही एक आदेश जारी कर इस स्कीम में केन्द्रांश नहीं देने का फरमान जारी कर दिया था. केंद्र के इस निर्देश झारखंड के सभी 24 जिलों के डीआरडीए कार्यालय में संविदा पर कार्यरत 387 से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों के भविष्य पर भी संकट है,क्योंकि अभी तक झारखंड सरकार ने डीआरडीए की यथास्थिति बनाए रखने,जिला परिषद में विलय करने और कर्मियों के समायोजन पर कोई निर्णय नहीं लिया है.

इधर, केंद्र के इस फरमान के बाद राज्य सरकार पेशोपेश में है. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. पहले योजना शुरू करती है, योजना के कार्यान्वयन के लिए अधिकारियों और करमचारियों की भर्ती करता है और बाद में अचानक योजना को बंद करने का फरमान जारी कर देता है. कहा कि यह व्यवस्था सिर्फ इसी स्कीम में नहीं है कई अन्य ग्रामीण विकास सहित अन्य विभागों की योजना जिसमें केंद्र का सहयोग रहता है उसे बंद किया जा रहा है. आलम यह है कि केंद्र के फरमान का खामियाजा राज्य को भोगना पड़ता है. उन्होंने आरोप लगाया कि जब चुनाव होता है केंद्र योजना लाकर लोगों को लुभाती है और बीच के दिनों में बंद कर देती है. उन्होंने कहा कि अभी डीआरडीए स्कीम को जारी रखने या नहीं रखने पर सरकार के स्तर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है. सरकार इस सम्बन्ध में विधि और वित्त विभाग से राय लेगी. उन्होंने फ़िलहाल भरोसा दिलाया है कि सरकार अपने स्तर से कर्मियों को परेशानी नहीं हो इसके लिए रास्ता निकलने के लिए प्रयासरत है.

क्या है मामला

दरअसल, केंद्र सरकार की तरफ से एक नवंबर 20121 को ही आदेश जारी करते हुए सभी डीआरडीए कार्यालय के तालाबंदी का फरमान जारी किया गया था. इसके तहत चालू वित्त वर्ष की समाप्ति के साथ ही एक अप्रैल 2022 से ये बंद कर दिए जाएंगे. इससे पहले 31 जनवरी को इनके पास बकाया राशि को जिला परिषदों को ट्रांसफर किया जाना था. कर्मचारियों को भी अन्य विभागों में समाहित करने का निर्देश दिया गया था. बता दें कि, मनरेगा हो या पीएम आवास योजना या फिर सांसद निधि जैसी दर्जन भर से ज्यादा ग्रामीण विकास की योजनाओं का क्रियान्वयन डीआरडीए से ही होता है.

जिप में विलय का है सुझाव

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक नवंबर को राज्य सरकारों को लिखे पत्र में डीएआरडीए को एक अप्रैल, 2022 से बंद करने की जानकारी दी है. मंत्रालय के अपर सचिव संजय कुमार ने सभी राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों को बताया है कि वे इसके लिए क्या-क्या कदम उठा सकते हैं. पत्र पर गौर करें तो डीआरडीए को अब जिला परिषद के साथ विलय किया जा सकता है. लेकिन झारखंड में अभी तक इस मसले पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है

सरकार चाहे तो कर्मियों का हो सकता है समायोजन

डीआरडीए बंद होने के साथ ही इसमें काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी नहीं जाएगी. केंद्र ने कर्मियों को योग्यता के अनुसार काम में लेने को कहा है. डीआरडीए में प्रतिनियुक्ति पर काम करने वाले कर्मचारियों को उनके मूल विभाग में वापस सम्माहित किया जायेगा. डीआरडीए में काम करने वालों को भी योग्यता के अनुसार अन्य विभागों को भेज सकता है. यदि ऐसा संभव नहीं है और जैविक नहीं है, तो उन्हें मनरेगा जैसी योजनाओं के साथ रखा जा सकता है. पीएमएवाई, एनएसएपी आदि में भी उनकी क्षमता और योग्यता के अनुसार नियुक्ति दी जा सकती है.

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