
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि यूक्रेन पर रूस के हमले के ख़िलाफ़ समर्थन देने के मामले में भारत का रुख़ कमज़ोर रहा है
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति बाइडन ने ये बात ज़ोर देकर कही कि अमेरिका के ज़्यादातर मित्र और सहयोगी देशों ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के ‘आक्रामक रवैए’ को लेकर एकजुटता दिखाई है.
राष्ट्रपति बाइडन ने कारोबार जगत के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “24 फरवरी को रूसी सैनिकों ने यूक्रेन पर सैनिक कार्रवाई शुरू की थी. इसके ठीक तीन दिन पहले रूस ने यूक्रेन से अलग होने का दावा करने वाले इलाकों दोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र क्षेत्र के रूप में मान्यता दे दी थी.”
“जिस एक बात को लेकर मुझे पूरा यक़ीन है और मैं पुतिन को अच्छी तरह से जानता हूँ और मुझे लगता है कि दूसरे नेता भी एक-एक करके ये जान लेंगे कि वो नेटो के टूटने का इंतज़ार कर रहे हैं. उन्होंने कभी भी नहीं सोचा होगा कि नेटो पूरी तरह से एक रहेगा. और मैं आपको ये भरोसा दिलाता हूं कि नेटो इतिहास में इतना मज़बूत और एकीकृत पहले कभी नहीं रहा था जितना कि वो आज है और ये सिर्फ़ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की वजह से हुआ है.”

बाइडन ने इस संबोधन में भारत का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, “लेकिन पुतिन के हमले के जवाब में हमने पैसिफिक क्षेत्र में और नेटो के माध्यम से अपनी एकता का प्रदर्शन किया. क्वाड में भारत के संभावित अपवाद को छोड़कर, उसकी स्थिति थोड़ी कमज़ोर रही है लेकिन पुतिन के हमलावर रवैए के सामने जापान का रुख़ बेहद मज़बूत रहा है और ऑस्ट्रेलिया का भी.”
पिछले महीने राष्ट्रपति बाइ़डन ने कहा था कि भारत और अमेरिका यूक्रेन पर रूस के हमले के मामले में अपने मतभेदों को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. क्वैड में जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं.
ये नेटो की तरह कोई गठबंधन नहीं है बल्कि साझा हितों और मूल्यों की बुनियाद पर बनाया गया देशों का एक समूह है जिसका मक़सद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र में इन देशों की स्थिति मजबूत करना है.
Have any thoughts?
Share your reaction or leave a quick response — we’d love to hear what you think!