हजारीबाग। सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए जानकारी को नहीं देना कभी-कभी मुसीबत बन जाता है। सूचना नहीं देने वाले पदाधिकारियों की लापरवाही का परिणाम यह होगा कि अब उनपर एफआईआर और अदालत की कार्रवाई होगी। झारखंड राज्य का यह पहला मामला होगा जब सूचना नहीं देने के कारण किसी मामले में एफआईआर हो रहा है और इस मामले की पूरी सुनवाई अब कोर्ट में होगी। हजारीबाग के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने निबंधन कार्यालय हजारीबाग से सूचना मांगा था। सूचना में मांग की गई थी कि हमें सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराया जाए। ऐसे में कार्यालय के द्वारा उन्हें सूचना नहीं दी गई। सूचना नहीं मिलने पर उन्होंने दोबारा 2 जुलाई 2021 में आवेदन दिया। फिर भी इन्हें सूचना नहीं मिली। अंत में उन्होंने 30 अक्टूबर 2021 को आॅनलाइन एफआईआर किया। लेकिन यहां भी उन्हें मायूसी हाथ लगी। ऐसे में उन्होंने हजारीबाग के वरीय पुलिस पदाधिकारी को भी पत्राचार किया। वहां से भी इन्हें मदद नहीं मिला। अंत में उन्होंने आज कोर्ट का सहारा लिया। कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश निर्गत किया है। जिसमें वैभव मणि त्रिपाठी तत्कालीन सब रजिस्टार, रूपेश कुमार सिन्हा वर्तमान रजिस्टर ,रंजीत लाल तत्कालीन एसी, राजेश रोशन वर्तमान एसी को पार्टी बनाया गया है।

