मां-बहन को इलाज के लिए करौली आश्रम लाया था, पेड़ से लटका मिला बेटे का शव

by Aaditya HridayAaditya Hriday

बताया गया कि मृतक अजय के शरीर पर चोट के निशान थे और उसके पैरों पर खून लगा हुआ है, हालांकि परिवार का कुछ और ही कहना है.

पश्चिम बंगाल का रहने वाला एक युवक कानपुर के करौली आश्रम (Kanpur Karauli Ashram) गया था. अपनी मां और बहन का इलाज कराने के लिए. सोमवार, 3 जुलाई को आश्रम से लगभग ढाई किलोमीटर दूर उस युवक का शव पेड़ से लटका हुआ मिला. परिजन का कहना है कि युवक डिप्रेशन में था और उसने पहले भी अपनी जान लेने की कोशिश की थी. मामले पर आश्रम की तरफ से भी बयान सामने आया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक का नाम अजय चौहान है. उम्र 30 साल. वो पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर का रहने वाला था. उसकी मां ललिता और बहन रीना चौहान की तबीयत ठीक नहीं थी. तो वो उन्हें इलाज के लिए कानपुर में बिधनू इलाके के करौली आश्रम में ले गया. लेकिन सोमवार को अचानक अजय का शव आश्रम से थोड़ी दूर स्थित पिपराइच में मिला. ACP दिनेश शुक्ल ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया गया है. घरवालों ने किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया है.

इधर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया भी पूरी होने की खबर आई है. शव की जांच में भी आत्महत्या की ही बात निकल कर आई है.

रविवार शाम गायब हुआ

अजय को सोशल मीडिया के जरिए आश्रम के बारे में पता चला था. वो शनिवार, 1 जुलाई को आश्रम पहुंचा. परिजनों ने बताया कि रविवार, 2 जुलाई की शाम को वो शौच जाने की बात कहकर आश्रम से निकल गया और वापस नहीं लौटा. वे लोग अजय को ढूंढते रहे. फिर अगले दिन उन्हें अजय के शव मिलने की जानकारी मिली.

बहन ने क्या बताया?

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अजय के शरीर पर चोट के निशान थे और उसके पैरों पर खून लगा हुआ है. हालांकि, इन दावों की पुष्टि नहीं की गई है. मृतक की बहन रीना चौहान ने बताया कि उनका भाई खुद भी बीमार रहता था. रीना ने कहा,

वो डिप्रेशन का शिकार थे. खाना-पीना कुछ खाते नहीं थे. हम उनको समझाते थे, लेकिन वो परेशान ही रहते थे. लगता है कि इसी परेशानी के चलते उन्होंने सुसाइड कर ली.

मामले पर करौली आश्रम के मीडिया प्रभारी बृजेंद्र सिंह से भी बातचीत की गई. उन्होंने कहा,

हमारा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. करौली आश्रम से काफी दूर जाकर उन्होंने सुसाइड किया है. हमें पता भी नहीं था. पुलिस ने ही हमें इस बारे में सूचना दी. वो हमारे यहां इलाज कराने आए होंगे. हमें इसका पता नहीं है क्योंकि यहां हर रोज हजारों लोग आते हैं. हमें उनकी मौत का दुख है.

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