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तिरुवनंतपुरम: भारत और श्रीलंका की महिला क्रिकेट टीम के बीच चल रही 5 मैचों की टी-20 श्रृंखला का चौथा मैच तिरुवनंतपुरम के ग्रीन फील्ड इंटरनेशनल स्टेडियम में आयोजित किया गया। इस मुकाबले में श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का निर्णय लिया, लेकिन स्मृति मंधाना और शेफाली वर्मा की शानदार पारियों ने भारत को मजबूत शुरूआत दिलाई। स्मृति ने 80 और शेफाली ने 79 रन बनाकर टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचाया।
मंधाना ने 10,000 रन का मील का पत्थर पार किया
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की प्रमुख बल्लेबाज स्मृति मंधाना ने श्रीलंका के खिलाफ चौथे टी-20 मैच में एक असाधारण उपलब्धि हासिल की है। जैसे ही उन्होंने अपनी पारी में 27 रन पूरे किए, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10,000 रनों का आंकड़ा छुआ। इस उपलब्धि के साथ शुभा की वे भारत की दूसरी महिला क्रिकेटर बनीं, जिन्होंने यह मुकाम हासिल किया। मिताली राज के बाद, वे दूसरे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10,000 रन बनाये हैं। मिताली के नाम कुल 10,868 रन दर्ज हैं।
महिला इंटरनेशनल क्रिकेट में कम पारियों में 10,000 रन बनाने वाली खिलाड़ी
स्मृति मंधाना का रिकॉर्ड इस प्रकार है:
- स्मृति मंधाना – 280 पारियां
- मिताली राज – 314 पारियां
- शार्लोट एडवर्ड्स – 316 पारियां
- सूजी बेट्स – 343 पारियां
महिला इंटरनेशनल क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी
वर्तमान में, महिला क्रिकेट में सर्वाधिक रन इस प्रकार हैं:
- मिताली राज – 10,868 रन
- सूजी बेट्स – 10,652 रन
- शार्लोट एडवर्ड्स – 10,273 रन
- स्मृति मंधाना – 10,053 रन
स्मृति मंधाना का रिकॉर्ड
स्मृति मंधाना ने भारत के लिए 7 टेस्ट मैच खेले हैं, जिनमें उन्होंने 629 रन बनाये हैं। टेस्ट क्रिकेट में उनके नाम 2 शतक और 3 अर्धशतक हैं। वनडे फॉर्मेट में 117 मैच खेलकर वे 5322 रन बनाने में सफल रही हैं, जिसमें 14 शतक और 34 अर्धशतक शामिल हैं। मंधाना के अलावा, न्यूजीलैंड की सूजी बेट्स और इंग्लैंड की शार्लोट एडवर्ड्स भी इस ऊँचाई तक पहुँच चुकी हैं।
कठिन क्षणों के बाद शानदार वापसी
इस श्रृंखला से पहले, स्मृति मंधाना ने व्यक्तिगत जीवन में कुछ कठिन दौर का सामना किया। उनकी शादी 23 नवंबर को निर्धारित थी, लेकिन कुछ कारणों से इसे रद्द करना पड़ा। इसी दौरान, उनके पिता की तबीयत भी खराब हो गई, जिसके चलते उन्हें शादी को टालना पड़ा।
महत्वपूर्ण उपलब्धि
जानकारी के अनुसार, यह समय मंधाना के लिए बहुत भावनात्मक रहा। हालांकि उन्होंने खुद को संभाला और मैदान पर शानदार प्रदर्शन करते हुए इस बेमिसाल उपलब्धि को हासिल किया।
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