मेहबूबा मुफ्ती ने कहा: अदालत को मेरे चरित्र को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं

by Ananya Singh
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महबूबा मुफ्ती का जेल स्थानांतरण पर बयान

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के कैदियों के स्थानांतरण के संबंध में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका को खारिज करना आश्चर्यजनक है, जिसमें स्थानीय कैदियों को अन्य जगहों की जेलों से वापस लाने की मांग की गई थी। इस याचिका को अदालत ने यह कहते हुए खारिज किया कि यह राजनीतिक लाभ के लिए दायर की गई है। महबूबा ने श्रीनगर में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।

अदालत के फैसले पर महबूबा की प्रतिक्रिया

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि उच्च न्यायालय का कहना है कि कोई भी नागरिक जनहित याचिका दायर कर सकता है, लेकिन चूंकि वह एक राजनीतिक नेता हैं, इसलिए उनकी याचिका को राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा गया। उन्होंने कहा, “उच्च न्यायालय को यकीन नहीं है कि राजनीतिक नेता जनता की वास्तविकताओं से गहरे जुड़े होते हैं।” महबूबा ने यह भी सवाल उठाया कि अदालत ने इस मामले का स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लिया।

महबूबा की नाराजगी के कारण

महबूबा ने अदालत के दुवारा उसके चरित्र पर सवाल उठाने को अनुचित बताया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें राजनीतिक मुद्दे उठाने का पूरा अधिकार है। उनका मानना है कि अदालत को सरकार से यह पूछना चाहिए था कि जेलों में कितने कैदी विचाराधीन हैं और उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

कुलदीप सिंह सेंगर मामले पर टिप्पणी

महबूबा मुफ्ती ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने कहा कि उनकी मांग केवल उन कैदियों के स्थानांतरण तक सीमित थी, जिन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है। विशेष रूप से, भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में न्यायालय द्वारा दी गई सजा निलंबन को लेकर महबूबा ने आरोप लगाया कि न्यायपालिका का राजनीतिकरण कर दिया गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ न्यायाधीश अब भी सच्चाई के पक्ष में खड़े हैं।

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