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नई दिल्ली: भारतीय घरेलू क्रिकेट में एक बार फिर मैच-फिक्सिंग और भ्रष्टाचार के आरोपों का मामला उभरा है। असम क्रिकेट एसोसिएशन (ACA) ने 12 दिसंबर 2025 को चार खिलाड़ियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
इन खिलाड़ियों पर आरोप है कि वे सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 के दौरान अनुचित गतिविधियों में शामिल रहे हैं। निलंबित किए गए सभी चार खिलाड़ियों को जांच पूरी होने तक किसी भी क्रिकेट गतिविधि में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी।
सस्पेंड हुए खिलाड़ियों की पहचान
निलंबित खिलाड़ियों में अमित सिन्हा, इशान अहमद, अमन त्रिपाठी और अभिषेक ठाकुरी का नाम शामिल है। ये सभी खिलाड़ी असम क्रिकेट की विभिन्न श्रेणियों में खेल चुके हैं। आरोप है कि ये खिलाड़ी टूर्नामेंट के दौरान अन्य खिलाड़ियों को अनुचित कार्यों के लिए प्रेरित करने की कोशिश कर रहे थे।
BCCI की जांच और FIR
इस मामले का खुलासा होने के बाद, बीसीसीआई की एंटी-करप्शन और सुरक्षा इकाई ने तुरंत जांच की प्रक्रिया शुरू की। प्रारंभिक जांच में इन खिलाड़ियों की संलिप्तता के सबूत भी मिले हैं। इसके परिणामस्वरूप असम क्रिकेट एसोसिएशन ने राज्य पुलिस की अपराध शाखा में इनके खिलाफ FIR भी दर्ज की है, जिससे यह मामला आपराधिक जांच के दायरे में आ गया है।
ACA के सचिव सनातन दास ने कहा, “प्रारंभिक जांच से स्पष्ट हुआ है कि ये खिलाड़ी गंभीर अनुशासनहीनता में लिप्त थे, जिससे खेल की गरिमा प्रभावित हो रही थी। इसलिए इन्हें तुरंत निलंबित किया गया है और कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है।”
राज्य में आदेश का सख्ती से पालन
ACA ने सभी जिला क्रिकेट संघों को निर्देश दिए हैं कि इस निलंबन के आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए। सभी क्लबों और अकादमियों को भी जानकारी दी गई है, ताकि किसी भी तरह से इन खिलाड़ियों को खेलने का अवसर न मिले। यह रोक तब तक जारी रहेगी जब तक कि जांच पूरी नहीं हो जाती या एसोसिएशन द्वारा कोई नया निर्णय नहीं लिया जाता।
असम का प्रदर्शन भी प्रभावित
इस विवाद के बीच असम की टीम सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2025 के सुपर लीग के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकी। टीम के लीग मैच लखनऊ में 26 नवंबर से 8 दिसंबर तक आयोजित किए गए थे।
खेल की विश्वसनीयता की रक्षा
असम क्रिकेट एसोसिएशन का यह कदम दर्शाता है कि वह खेल की पवित्रता और अनुशासन को लेकर कितने गंभीर है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय क्रिकेट में कई बार फिक्सिंग के मामले सामने आए हैं। ऐसे में राज्य संघों का इस प्रकार का त्वरित और कठोर कदम स्वागत योग्य है।
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