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📌 गांडीव लाइव डेस्क:
रांची: सारंडा को वन अभयारण्य के रूप में घोषित करने के संदर्भ में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य सचिव अविनाश कुमार इस दौरान मौजूद थे। मंगलवार को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथ पत्र पेश किया, जिसमें बताया गया कि झारखंड का सारंडा वन जैव विविधता और प्राकृतिक संपदा के लिए प्रसिद्ध है। राज्य सरकार इस क्षेत्र को पूरी तरह वन अभयारण्य के रूप में मान्यता देने को लेकर चिंतित है, क्योंकि यह निर्णय राज्य के लिए नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। सरकार ने वन और वन्य जीवों के संरक्षण की अपनी प्रतिबद्धता जताई और कहा कि वन अभयारण्य का दर्जा दिए बिना भी संरक्षण किया जा सकता है। कोर्ट ने इस शपथ पत्र पर सुनवाई करते हुए 31468.25 हेक्टेयर क्षेत्रफल को सेंक्चुअरी के रूप में घोषित करने की अनुमति दे दी। इसके अलावा, SAIL और वैद्य माइनिंग लीज को सेंक्चुअरी के प्रभाव क्षेत्र से मुक्त रखने का आदेश भी दिया गया। कोर्ट ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर शपथ पत्र देने का निर्देश भी दिया। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने दिए।
राज्य सरकार का पक्ष
सारंडा मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने NGT के आदेश की तुलना में क्षेत्रफल वृद्धि के कारणों पर सवाल उठाया। राज्य सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने जवाब में WII द्वारा भेजी गई रिपोर्ट और मानचित्र का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि WII ने अध्ययन के लिए आठ साल का समय मांगा था और इसके लिए तीन करोड़ रुपये का खर्च बताया गया था। WII ने एक मानचित्र भेजा, जिसमें 5519.41 हेक्टेयर को सेंक्चुअरी में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इस पर सरकार की सहमति नहीं थी। वन सचिव ने इस प्रस्ताव की जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से दी। राज्य सरकार ने NGT के दिशा निर्देश के अनुसार 31468.25 हेक्टेयर को सेंक्चुअरी के रूप में मान्यता देने में कोई आपत्ति नहीं जताई।
क्षेत्रफल चिह्नित करने के अनुरोध का विरोध
Amicus Curiae ने सरकारी क्षेत्रफल चिह्नित करने के अनुरोध का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि 31468.25 हेक्टेयर क्षेत्रफल को चिह्नित किया जा चुका है, जिसमें 126 कंपार्टमेंट शामिल हैं। इस क्षेत्र में कोई माइनिंग गतिविधि नहीं हो रही है, इसलिए पुनः क्षेत्रफल चिह्नित करने का समय नहीं दिया जाना चाहिए।
SAIL की दलील
न्यायालय ने राज्य सरकार, SAIL, और Amicus Curiae की दलीलें सुनने के बाद 31468.25 हेक्टेयर को सेंक्चुअरी घोषित करने की अनुमति दी। इस बीच, SAIL ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि सेंक्चुअरी की घोषणा से उनके माइनिंग कार्य प्रभावित न हों, क्योंकि सेंक्चुअरी के एक किलोमीटर के बाहर माइनिंग पर प्रतिबंध है।
न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि सेंक्चुअरी के दौरान SAIL और वैध माइनिंग को प्रभावित न होने का ध्यान रखा जाए। इसके साथ ही, न्यायालय ने राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने से भी मुक्त रखा।
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