रांची। भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (आइएयूए) ने कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के उच्च शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों का नामांकन दर बढ़ाने के उद्देश्य से यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों की सीटें प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत बढ़ाने की अनुशंसा की है। कहा गया कि वर्तमान में देश के सरकारी विश्वविद्यालयों का लगभग नौ प्रतिशत कृषि विश्वविद्यालय है। उनमें नामांकन के लिए सीटें देश के कुल विश्वविद्यालयों का केवल एक प्रतिशत ही है, जो चिंता का विषय है। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित आइएयूए के दो दिवसीय 45वें अधिवेशन के अंतिम दिन आइएयूए के महासचिव सह डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर के कुलपति ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय पूरी तरह से आवासीय होते हैं। इसलिए नई शिक्षा नीति में प्रस्तावित नामांकन हेतु सीटों की वृद्धि को साकार करने के लिए नए छात्रावासों के निर्माण के लिए विश्वविद्यालयों को यथाशीघ्र पर्याप्त अनुदान प्रदान करना चाहिए। वहीं, बीएयू के कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय समाज का आईना होते हैं, जिनमें राज्य की जनता अपनी अपेक्षाएं देखती है। इस दौरान आइएयूए द्वारा निजी क्षेत्र के उद्योगों के विशेषज्ञों को शामिल करते हुए बाजार आधारित पाठ्यक्रम तैयार करने की भी अनुशंसा की गई। कहा गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से स्ववित्तपोषित योजना के तहत ग्रामीण उद्यमिता और कौशल विकास से संबंधित प्रमाणपत्र और डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। वहीं, कृषि पत्रकारिता एवं जनसंचार कॉपोर्रेट, कम्युनिकेशन, धर्म एवं संस्कृति, विदेशी भाषाओं, पर्यावरण संरक्षण, योग, शारीरिक शिक्षा, नृत्य, संगीत, सॉफ्ट स्किल विकास आदि विषयों में भी वैकल्पिक पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाने को लेकर चर्चा की गई। अधिवेशन में लगभग 40 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भाग लिया।
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